आशीष कुमार की रिपोर्ट
रायबरेली । कोविड-19 को लेकर प्रदेश के सभी डॉक्टर अपने कार्य में पूरी तरह से निर्भर होकर जनता की सेवा में लगे हुए हैं। लेकिन रायबरेली जिले में एक प्राइवेट डॉक्टर के कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद उस पर मुकदमा लिखा गया था। लेकिन अब निजी चिकित्सक व जिले के आईएमए व जिला प्रशासन आमने सामने है।प्राइवेट चिकित्सक अब प्रशासन से आमने सामने की लड़ाई लड़ने का मन बना रहे है।इसी के चलते आज जिले की आईएमए की इकाई ने सीएमओ आफिस पहुचकर सीएमओ से मुलाकात की और ऊनी मांगे उनके सामने रखी।साथ ही मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यदि संक्रमित चिकित्सक की जांच रिपोर्ट निगेटिब आती है और उसके बाद उसको संक्रमण होता है तो इसका जिम्मेदार जिला प्रशासन होगा।
इस रिपोर्ट के आने के बाद जिला प्रशासन पर लगाए यह गम्भीर
दरअसल रविवार को शहर में एक नर्सिंग होम का संचालन कर रहे एक चिकित्सक की प्राइवेट लैब्स से कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें आइसोलेट कर दिया था और उनके संपर्क में आये 55 चिकित्सको व उनके परिवार को होम क्वारन्टीन कर दिया था।लेकिन आज सभी चिकित्सको की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद जिले का मेडिकल एसोसिएशन जिला प्रशासन के विरोध में उतर आया।निजी चिकित्सको की टीम जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत करने व अपनी मांगों के लिए उनके कार्यालय पहुच गई।मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए एसोसियेशन के अध्यक्ष डॉ अजय श्रीवास्तव ने कहा कि हमे सूत्रों से मालूम चला है कि चिकित्सक की सरकारी लैब की कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है लेकिन प्रशासन उसे दबाए हुए है।यदि भविष्य में उनको कोरोना संक्रमण होता है तो इसके लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा।वही उनके साथ के चिकित्सकों व उनके परिजनों को होम क्वारन्टीन करके कैदियों की तरह रखा गया। इसका जिम्मेदार जिला प्रशासन है। साथ ही और जिलों की तरह यंहा क्वारन्टीन केंद्रों में जो सुविधा मिल रही है वो मानक पूरे नही कर रही है।हमारी लड़ाई में अब राज्य की टीम भी हमारा साथ दे रही है।इस आपदा काल मे भी हम लोगो की सेवा कर रहे है तो प्रशासन को भी हमारे लिए संवेदनशील होना चाहिए।