• आसिया फ़ारूकी
कई प्रदेश हैं देश में हमारे।
गुंथे हार में सुरभित सुमन प्यारे।
विविध रूप-रंग, भाषा निराली ,
भारत के अंग हैं समर्थ सारे ।।
विभिन्न वेश-भूषा, मधुर बोलियां।
अनेकता में एकता की टोलियां।
मातृभूमि, पितृभूमि, कर्मभूमि यह,
जन्मभू भरे खुशियों से झोलियां।
देश में हो शांति और अखंडता।
विकास रथ बढता रहे भारत का।।
एकता के सूत्र में बंधें हम सभी,
वंदन-चंदन करते नवागत का।।
सभी धर्म एक ही बात बतायें।
सृजन के नवल पुष्प विकसायें।
मानवता को आदर्श मानकर,
भारत-उपवन को महकायें।।
हम भारतीय सब मिल एक बने।
दीपक से जल दीप अनेक बनें।
हो जग में देश का गौरव-गान,
ऐसे कर्म करें हम, नेक बनें।।
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शिक्षिका, फतेहपुर (उ.प्र.)