राजीव कुमार झा
धूप से भरा आकाश ,
सफेद बादलों को देखता , मछुआरा अपना जाल .
पानी से भरे , तालाब में समेटता , सारे दिन हवा को , आदमी अकेला बैठा देखता , नदी के किनारे ,
दूर तक फैला पानी , सूखता जा रहा , सुबह स्टेशन पर , ट्रेन से उतरकर , कोई आदमी शहर से ,
गाँव के पिछवाड़े , दोपहर के , दरवाजे के बाहर , चुप होकर , थोड़ा पुराना , कोई गीत गा रहा ,
सुबह से शाम का नजारा , दोपहर में कहीं , सो गया आदमी , उस रात की , चाँदनी में हारा ,
अब कहीं कोई आदमी , कामधाम में जाकर जुटा , रात में पहाड़ की , ओट से गुजरता , समय के सन्नाटे में ,
की भीड़ में , अकेला कहीं खोया , उसी अकेले रास्ते से , कोई घर चला आया ।
कवि परिचय :- जन्मतिथि – 8 जुलाई 1971 . पता – इंदुपुर . पोस्ट – बड़हिया . जिला – लखीसराय . बिहार . पिन 811302 . शिक्षा – बी . ए . इतिहास ( आनर्स ) एम . ए . मास कम्युनिकेशन और हिंदी . पत्र पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन और आकाशवाणी से काव्य पाठ । ई मेल [email protected]