उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की एक विधानसभा सीट है 286, बहराइच सदर विधानसभा सीट. जिला मुख्यालय की इस सीट को जिले की सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा सीट माना जाता है. ये सीट प्रमुख रूप से जिले का राजनीतिक केंद्र मानी जाती है. बहराइच सदर विधानसभा क्षेत्र में नगर पालिका क्षेत्र के साथ ही तीन विकास खंड चित्तौरा, हुजूरपुर और तेजवापुर का आंशिक क्षेत्र जुड़ा है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बहराइच सदर विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ये सीट समाजवादी पार्टी (सपा) की परंपरागत सीट रही है. सपा की सरकार में मंत्री रहे डॉक्टर वकार अहमद शाह लगातार पांच दफे इस सीट से विधायक रहे. डॉक्टर वकार अहमद शाह के निधन के बाद सपा ने उनकी पत्नी रुबाबा सईदा को चुनाव मैदान में उतारा.
बहराइच सदर विधानसभा सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो डॉक्टर वकार अहमद शाह के पहले 1977 में जेएनपी के मोहम्मद अतीक खान, 1980 में धर्मपाल, 1985 में कांग्रेस के मनहरण नाथ कौल, 1989 में कांग्रेस के धर्मपाल, 1991 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बृजराज त्रिपाठी विधानसभा पहुंचे. इसके बाद इस सीट पर डॉक्टर वकार अहमद का काल शुरू हुआ. 1993 में पहली दफे विधानसभा चुनाव जीते डॉक्टर वकार अहमद शाह पांच दफे विधानसभा चुनाव जीते और 23 साल तक विधानसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया.
2017 का जनादेश
बहराइच सदर विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी ने सपा की ये परंपरागत सीट छीन ली. सपा ने लगातार पांच दफे विधायक रहे डॉक्टर वकार अहमद शाह के निधन के बाद उनकी पत्नी रुबाब सईदा को उम्मीदवार बनाया. बीजेपी से अनुपमा जायसवाल चुनाव मैदान में उतरीं. अनुपमा जायसवाल ने रुबाब को छह हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. बहुजन समाज पार्टी के अजीत सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
बहराइच सदर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां करीब पौने चार मतदाता हैं. मुस्लिम बाहुल्य मानी जाने वाली इस विधानसभा सीट की अधिकतर आबादी नगर पालिका क्षेत्र में निवास करती है. अनुमानों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं के बाद ब्राह्मण और दत मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं. क्षत्रिय, पिछड़ी जातियों के मतदाता भी इस सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बहराइच सदर विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी की अनुपमा जायसवाल का जन्म 3 फरवरी 1967 को हुआ था. इनके पिता का नाम रवींद्र कांत था. अनुपमा जायसवाल ने बीएड, बीटीसी और एलएलबी किया है. इनका विवाह ग्रामीण बैंक में प्रबंधक अशोक जायसवाल के साथ हुआ. इनकी दो पुत्रियां और एक पुत्र शिवम जयसवाल हैं जो इस समय श्रावस्ती जिले के जमुनहा के ब्लॉक प्रमुख हैं. अनुपमा जायसवाल योगी मंत्रिमंडल में भी रहीं. बाद में उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था. अनुपमा जायसवाल का दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में विकास के कई सारे कार्य कराए.