बदायूं। पैसा कमाने के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं उसके लिए नाम पुलिस का डर ना दबाव लोग खुलेआम लोगों में दहशत कदर बनाकर उनसे मोटी मोटी रख में वसूल करते हैं उसके लिए प्राइवेट हॉस्पिटल पैथोलॉजी लैब एक अच्छा जरिया साबित हो रहे हैं यह लैब मरीजों को डरा कर उन में दहशत और डर का माहौल बना कर पैसे तो कमा ही रही हैं परंतु साथी मरीजों और उनके परिजनों को मानसिक तनाव भी दे रही हैं। बिना डिग्री, डिप्लोमा और पंजीकरण के संचालित तमाम पैथोलॉजी लैब खून की जांच के नाम पर मोटी रकम वसूल रही हैं और उनकी गलत रिपोर्ट से मरीजों को मानसिक आघात पहुंचा रही हैं। बुखार के रोगियों को टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बताया जा रहा है।प्लेटलेट्स की कमी की रिपोर्ट देकर मरीज को जान का खतरा दिखा रहे हैं। इसमें झोलाछाप भी लैब संचालकों का सहयोग कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस काकस में स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी शामिल हैं।
इन दिनों मच्छरजनित बीमारियों का मौसम चल रहा है। जिले के दातागंज, सालारपुर, समरेर और जगत ब्लॉक के दो सौ से ज्यादा गांव मलेरिया, डेंगू के लिहाज से हाई रिस्क श्रेणी में शामिल हैं। इन ब्लॉक के गांवों में इस वर्ष भी मलेरिया और फैल्सीपेरम मलेरिया के लगातार रोगी मिल रहे हैं। इस बीच निजी अवैध रूप से संचालित लैबों ने बुखार पीड़ितों को प्लेटलेट्स के आधार पर डेंगू घोषित करना शुरू कर दिया है। शनिवार को टिकलापुर गांव में छोटेलाल की बुखार से मौत हुई थी। छोटेलाल के परिवारवाले निजी डॉक्टर से इलाज करा रहे थे। उन्होंने निजी लैब में ही जांच कराई। निजी लैब ने प्लेटलेट्स काउंट के आधार पर परिवारवालों को बताया था कि छोटेलाल को डेंगू जैसे लक्षण हैं। बताते हैं कि बीमार छोटेलाल ने भी यह बात सुन ली और उनकी हालत और बिगड़ गई। इसके बाद परिवार के लोग उन्हें लेकर बदायूं भागे, जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। तब परिवार उनके शव को गांव ले गया। ऐसे में यह साफ हो रहा है कि निजी पैथोलॉजी लैब की मनमानी रिपोर्ट दहशत फैलाने का काम कर रही है। गौर करने वाली बात यह है कि जिले में सिर्फ नौ पंजीकृत लैब ही रोगियों की जांच के आधार पर स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट दे रही हैं।
जिले में झोलाछाप और निजी लैब के काकस में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं। झोलाछाप पर कभीकभार कार्रवाई कर दी जाती है, लेकिन लैब्स के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। शहर से लेकर देहात तक सैकड़ों की संख्या में अवैध लैब चल रही हैं। झोलाछाप भी इन लैब में ही जांच कराने की सलाह देते हैं।
संक्रामक रोगों की नहीं मिल पाती सटीक सूचना
बदायूं। मलेरिया, डेंगू समेत अन्य संक्रामक बीमारियों का स्वास्थ्य विभाग पूरा डाटा रखता है। गौर करने वाली बात यह है कि सरकारी अस्पतालों से ज्यादा संख्या में रोगी निजी डॉक्टरों के पास पहुंचते हैं। सरकारी अस्पतालों की पैथोलॉजी से ज्यादा निजी अवैध पैथोलॉजी में जांचें होती हैं। सरकारी अस्पतालों में होने वाली जांचों का रिकार्ड तो सेहत महकमे के पास रहता है, लेकिन निजी लैबों की जांच का कोई रिकार्ड नहीं रहता। जिले में सिर्फ नौ ऐसी लैब हैं जो पंजीकृत हैं और अपनी जांच के आधार पर स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भी उपलब्ध कराती हैं। बाकी करीब 300 ऐसी लैब हैं जो पंजीकृत नहीं हैं और कोई रिपोर्ट भी स्वास्थ्य विभाग को नहीं देतीं। यह लैब मनमानी रिपोर्ट देकर दहशत पैदा करने का काम कर रही हैं।
बुखार आने पर एक निजी लैब में खून की जांच कराई थी। रिपोर्ट में टाइफाइड बता दिया गया। कई दिन तक बुखार ठीक नहीं हुुआ तो दूसरी जगह जांच कराई। इसमें वायरल फीवर की पुष्टि हुई। निजी लैब की जांच रिपोर्ट गलत थी।
बुखार आने पर एक निजी लैब में जांच कराई थी। प्लेटलेट्स काउंट के हिसाब से डेंगू की संभावना बता दी गई। इसके बाद दूसरे स्थान पर जांच कराई तो पता लगा कि मलेरिया हुआ है। गलत रिपोर्ट के कारण जान जाते-जाते
निमयानुसार निजी पैथोलॉजी लैब की ओर से स्वास्थ्य विभाग को रोगियों के संबंध में सूचना देनी चाहिए। निजी लैब्स की गलत रिपोर्ट के बारे में शिकायतें आ रही हैं। जो लैब रिपोर्ट नहीं दे रहीं या बिना पंजीकरण के संचालित हो रही हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। संबंधित नोडल अधिकारी से इस संबंध में जवाब तलब किया जाएगा।