मतदाता सूची को आधार कार्ड से लिंक करने वाला बिल आज केंद्र सरकार लोकसभा में पेश करेगी. इस निर्वाचन कानून संशोधन विधेयक, 2021 को कानून मंत्री किरेन रिजिजू आज संसद में पेश करेंगे. इस बिल का मकसद ये है कि इस बिल के जरिए केंद्र सरकार जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 में संशोधन करना चाहती है. इस बिल के पारित होने के बाद नए कानून के तहत मतदाता सूची तैयार करने वाले अधिकारियों को यह अधिकार मिलेगा कि वे वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने वाले लोगों से आधार कार्ड भी मांग सकेंगे.
माना जा रहा है कि इससे सबसे बड़ा फायदा मतदाताओं को होगा, क्योंकि इससे मतदाताओं की पहचान सत्यापित हो सकेगी और फर्जीवाड़े को रोका जा सकेगा. इस बिल की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा अकसर उठता रहा है और इस बिल के पास होने के बाद फर्जीवाड़े पर लगाम लग सकेगी.
बिल में यह प्रावधान किया गया है कि आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं होगा. यदि कोई व्यक्ति आधार नंबर अपने आवेदन के साथ नहीं देता है तो उसकी एप्लिकेशन खारिज नहीं की जाएगी.इसके अलावा वोटर लिस्ट में मौजूदा नामों को भी लिस्ट से डिलीट नहीं किया जाएगा. आधार कार्ड का नंबर देना पूरी तरह से वैकल्पिक होगा.
इस बिल के एक अन्य प्रावधान में युवाओं को मतदाता के रूप में प्रत्येक वर्ष चार तिथियों के हिसाब से पंजीकरण कराने की अनुमति देने की बात कही गई है.वर्तमान में एक जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष के होने वालों को ही मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति दी जाती है.
निर्वाचन आयोग ने सरकार से कहा था कि एक जनवरी की ‘कट ऑफ तिथि’ के कारण मतदाता सूची की कवायद से अनेक युवा वंचित रह जाते हैं. केवल एक ‘कट ऑफ तिथि’ होने के कारण दो जनवरी या इसके बाद 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति पंजीकरण नहीं करा पाते थे और उन्हें पंजीकरण कराने के लिए अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था. इस बिल के पास होने के बाद कट ऑफ में सहूलियत होगी.