ब्यूरो रिपोर्ट:-धर्मेन्द्र कुमार कन्नौजिया
तमकुही/कुशीनगर:- गन्ना, गंडक, गरीबी एवं गुंडई का पर्याय रहा सेवरही विधानसभा क्षेत्र नये परिसीमन में तमकुहीराज हो गया है। यह क्षेत्र कई दिग्गज नेताओं की कर्मस्थली रहा, नेताओं का विकास तो हुआ और वह शिखर तक पहुचे, लेकिन यह क्षेत्र आज भी शैक्षिक पिछड़ेपन, आर्थिक बदहाली, लचर कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, बिजली, पानी, गन्ने की समस्या से कराह रही हैं जबकि वर्तमान में यह क्षेत्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व भाजपा के जिलाध्यक्ष की कर्मस्थली में गिना जाता हैं। क्षेत्र की जनता ने जनप्रतिनिधियों को शिखर तक तो पहुचा दिया, लेकिन विकास की दृष्टि से उनकी शोहरत के अनुसार इस क्षेत्र को वह मुकाम नही हासिल हो सका, जिसकी लोगो को उम्मीद थी। वैसे क्षेत्र का विकास भले हो न हों, जनप्रतिनिधियों का विकास हो रहा है और वह राजनीति के शिखर पर पहुच रहे हैं और क्षेत्रीय मुद्दे गायब हो गये हैं और उनकी राजनीति में देश व प्रदेश के मुद्दे शुमार हो चले हैं फिर इस क्षेत्र की जनता चुनावी वायदे को याद रही हैं।
यह क्षेत्र आजादी के पहले से सुर्खियों में रहा है। यहा चुनावी सभा के लिए आये जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवानी, नारायण दत्त तिवारी, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह, राहुल गांधी, मायावती, राम नरेश यादव, कल्पनाथ राय, अखिलेश सिंह यादव, जया प्रदा, अमर सिंह, राज बब्बर ने चुनाव को अहम बनाया।
अखिलेश सिंह यादव, आजम खां, राहुल गांधी, राजनाथ सिंह, स्वामी प्रसाद मौर्य, मो. अय्यूब, नीतीश कुमार, शाहनवाज हुसैन, सुशील मोदी, राम विलास पासवान भी यहां दस्तक दे चुके है। बिहार से सटा होने के नाते इन सभी राष्ट्रीय नेताओं की इस विधानसभा पर नजर है । बताना लाजिमी होगा कि यह क्षेत्र सदियों से पिछड़ा रहा है। बाबू गेंदा सिंह ने एशिया प्रसिद्ध गन्ना अनुसंधान केन्द्र एवं मसाला फार्म, रेशम फार्म, सबसे बड़ी परियोजना गंडक नहर, एपी तटबंध, बरवा पट्टी तटबंध, सेवरही-बरवापट्टीपिच मार्ग, रेता बेल्ट में बिजली एवं टेलीफोन लाइन का जाल बिछवाकर ऐतिहासिक विकास किया। उसके बाद विकास की गति रुक गई, जिसे पुन: डा. पीके राय ने इनके पद चिन्हों पर चलकर रेता क्षेत्र में पुल एवं सड़कों का विकास कर काफी हद तक बीहड़ में जाने का रास्ता सुगम बनाया, लेकिन अभी भी पर्याप्त पिछड़ापन है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वजह से गण्डक के रेतीले बीहड़ से जंगल पार्टी सरगनाओं का वर्चस्व समाप्त हुआ। अब इस क्षेत्र में विकास की किरण पहुंचाने की जरूरत है। बदहाल गन्ना अनुसंधान केंद्र, पखनहां पुल का बनना, बिजली, पानी, सड़क, परिवहन के लिए ट्रेनों की पर्याप्त मात्रा में बढ़ोत्तरी की जरूरत जनता महसूस कर रही है, लेकिन जनप्रतिनिधियों के लिए क्षेत्रीय मुद्दे गायब है और उनमें एक दूसरे को पछाड़कर राजनीति के शिखर पर पहुचने की होड़ मची हुई हैं।