खय्याम अहमद जाफरी की रिपोर्ट
कानपुर । लावारिस हालत मे कोई जिंदा किसी सभ्य कहे जाने वाले समाज की जल्दी सहानुभूति पाने मे सफल नही हो पाता, ये आज की कथित आधुनिकता का दिखावा है । लावारिस किसने बनाया उसको ? किस परिस्थिति ने उसे इस सर्वनाम से विभूषित किया ? आदि सरीखे कुछ यक्ष प्रश्न है जो हम सबके लिए अनुत्तरित है।
ऐसी स्थिति मे किसी की मौत हो जाए तो उस बेजान जिस्म के लिए सांसारिक संस्कार की सबसे विकट स्थिति सामने आ जाती है । मानवता के गिरते मूल्यों को ऊपर लेकर आने वाले नही हैं ऐसी बात भी नही । आज इसका जीता-जागता उदाहरण हमे देखने को मिला ।
लावारिशों के सम्मान में कन्धादान अभियान कार्यक्रम के अन्तर्गत गत दिवस कानपुर में समाज कल्याण सेवा समिति के बैनर तले अज्ञात/लावारिश शवों को सम्मान के साथ अंतिम विदाई के साथ अंत्येष्टि हेतु कंधादान करते हुए कानपुर नगर कांग्रेस की जिलाध्यक्ष ऊषा रानी कोरी जी।
ऊषा रानी कोरी की इस सामाजिक पहल की चर्चा होना काफी नही है बल्कि इस कदम को अगर हम सब अपने संस्कार मे शामिल कर लें तो समाज के लिए एक नये परिवर्तन की बुनियाद साबित हो सकता है ।