देवेश कटियार की रिपोर्ट
कानपुर– कानपुर देहात के बिठूर थाना क्षेत्र में गुरुवार की रात करीब एक बजे दबिश देने गई पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग करने वाले हिस्ट्री सीटर विकाश दुबे का उसके इलाके में जबरदस्त खौफ हैं। आपको बता दें कि कानपुर के इस शातिर अपराधी के खिलाफ तक़रीबन 60 आपराधिक मामले दर्ज हैं। गुरुवार को हुई 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की घटना के बाद हिस्ट्रीसीटर विकास दुबे के खौफ से जुड़े कई किस्से हैं। कानपुर में कुख्यात अपराधी विकास दुबे अपने घर पर कचहरी लगाता था और , दूर-दूर से सेटलमेंट होने के लिए लोग आते थे। अभी हाल ही कोरोना काल में हुए लॉकडाउन का विकास दुबे से जुड़ी बात सामने आई हैं जिसे सुनकर आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि उसकी उसके क्षेत्र में कितनी दबंगई चलती है।
हिस्ट्री सीटर का उसके क्षेत्र में इतना खौफ है कि लोग अपने आपसी विवाद और समस्याएं सुलझाने के लिए पुलिस और कोर्ट जाने के बजाए विकास दुबे के दरबार में जाते हैं और विकास दुबे जो फैसला सुनाता है मजाल है कि कोई उसको न माने। मालूम हो कि लॉकडाउन में विकास दुबे के क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी को घाटा होने के कारण कई लोगों की छंटनी करनी पड़ी। लेकिन इस फैसले को लागू करने से पहले कंपनी को विकास दुबे से इजाजत लेनी पड़ी। एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त बताया कि कंपनी के कर्मचारी इसकी शिकायत लेकर विकास दुबे के पास पहुंच गए थे। जिसके बाद कंपनी की ओर से विकास दुबे के सामने कंपनी ने गुहार लगाई और भरोसा दिया कि बाद में आप जैसा चाहेंगे वैसा ही कर लेंगे।
विकास दुबे के खिलाफ दर्ज हैं ये सारे केस
आपको बता दें कि अपराधी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के अपराधों की लंबी लिस्ट है। 19 साल पहले साल 2001 में यूपी में राजनाथ सरकार के समय में विकास दुबे ने कानपुर देहात के शिवली थाने के अंदर घुस कर इंस्पेक्टर रूम में बैठे तत्कालीन श्रम संविदा बोर्ड के चैयरमेन, राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त भाजपा नेता संतोष शुक्ल पर गोलियों की बौछार करते हुए गोलियों से भून दिया था।इस हाई-प्रोफाइल मर्डर के बाद उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और कुछ माह के बाद जमानत पर बाहर आ गया था। बताया जाता है कि थाने में घुसकर राज्यमंत्री की हत्या का आरोप लगने के बावजूद भी उसका कुछ नहीं हुआ। इस बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद भी किसी पुलिसवाले ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी। कोई गवाह न मिलने के कारण केस से बरी हो गया। यहां से विकास दुबे का नाम उत्तर प्रदेश के खतरनाक अपराधियों में शामिल हुआ। वर्ष 2004 में केबिल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी है।