मोहित गुप्ता की रिपोर्ट
हरदोई जनपद से लाए है आज ऐसी बड़ी खबर पुरे हिंदुस्तान मे अपनी ही कला को भूलने मे लगे हुए है जनता स्वदेशी अपनाओ विदेशी भगाओं की प्राथमिकता के बाद भी हम सभी भारतीय हाथों कला कौशल को भूलते जा रहे है
हम सभी विदेशी बल्बों झालरों और रंग बिरंगी लाइटों के आगे भारतीय हाथों की कला को भूलते जा रहे हैं।।जहां कभी गांव गांव में दर्जनों परिवारों की आजीविका का साधन था मिट्टी के बर्तन बनाना।।लेकिन आज देशी और विदेशी आधुनिकता के आगे हाथोंकी दिए की चमक फीकी पड़ती जा रही है।।जनपद के लालपालपुर निवासी अवधेश कुमार बताते हैं की करीब एक दशक पहले उनके गांव में करीब चालीस परिवार, मिट्टी के बर्तन दीपक आदि परिवार अपनी आजीविका चलाते थे।लेकिन आधुनिकता के कारण मिट्टी के दीए घंडो आदि की जगह जगमगाते विदेशी झालरों और लाइटों ने ले ली।।धीरे धीरे सभी परिवारों ने मिट्टी के बर्तन दीपक आदि बनाने की अपनी पुस्तैनी कला को छोड़ दिया। लेकिन उन्होंने और उनके भाई श्याम कुमार ने अपने पुश्तैनी काम को नहीं छोड़ा।और इसी काम की बदौलत ही वह दोनों भाई अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं