रिपोर्ट-संजय सिंह राणा
चित्रकूट -जिले के पहाड़ी ब्लॉक के अंतर्गत औदहा गाँव में पैलगी ना करने पर रामकिशोर दलित उम्र 55 साल को जान से मार डाला गया था। आज उन लोगों से मिलकर सारी जानकारी ली। सुनकर बहुत दुख हुआ कि आजादी के 73 साल बाद भी देश के ये हालत है.. कुछ लोगों को यह भी कहते सुना है कि अब तो जाति व्यवस्था है ही नहीं उन लोगों को इस पोस्ट को देखना चाहिए।
जगत पाल (मृतक के पुत्र) से बात करके पता चला कि मेरे पिता जी केवल हत्यारे से राम – राम कहा था. उस हत्यारे ने कहा कि कोरी होके पैलगी कि जगह राम – राम करता है और फिर गुस्से में आकर इतना पीटा कि इलाज के बावजूद कुछ दिन मे ही मृत्यु हो गई।
भगतसिंह ऐसा भारत बनाने का सपना देखा था जहां एक इंसान द्वारा दूसरे इंसान का शोषण न हो।
हमारे स्वाधीनता संग्राम के शहीद कैसे भारत का निर्माण करना चाहते थे और आज के हालात क्या हैं! आज के दौर के सबसे प्रासंगिक क्रांतिकारी विचारकों की सूची तैयार की जाए तो भगतसिंह उसमें आगे की पंक्ति में ही होंगे। भगतसिंह और उनके साथियों के लेखों-बयानों से पता चलता है कि उन्होंने ऐसा भारत बनाने का सपना देखा था जहां एक इंसान द्वारा दूसरे इंसान का शोषण न हो। शहीदों का कहना था कि आजादी का मतलब सिर्फ गोरी चमड़ी के लोगों से आजादी हासिल कर लेना नहीं है बल्कि वास्तविक आजादी तभी आ सकती है जब देश के मजदूरों, गरीब किसानों, नौजवानों, महिलाओं यानी हरेक दबे-कुचले वर्ग को हर प्रकार के शोषण से आजादी मिले। मतलब मेहनत करने वाले लोगों को उनकी मेहनत का पूरा हक मिले। लेकिन आज समाज में महंगाई, बेरोजगारी व गैर-बराबरी देख कर कह सकते हैं कि आजादी के 73 साल बाद भी भगतसिंह का सपना अधूरा है।
आज भी देश के मजदूर-किसान, जो इस दुनिया की सुई से लेकर जहाज तक, अनाज से लेकर कपास तक सारी सुख-सुविधा पैदा करते हैं, वे ही बदहाली की जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। हर साल हजारों अन्नदाता गरीब किसान कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं। कॉलेजों-विश्वविद्यालयों की डिग्रियां लेकर युवा आबादी बेरोजगारों की फौज में खड़ी है। वहीं दूसरी तरफ नेता-मंत्री मेहनतकशों की कमाई पर ऐश करते हैं। अगर आम जनता शिक्षा, रोजगार व स्वास्थ्य जैसे बुनियादी हकों के लिए एकजुट होती है तो ये नेता हमें धर्म और जाति के नाम पर लड़ाते हैं। वहीं देश की मेहनत-मशक्कत करने वाली आबादी आधा पेट खाकर भी अपने बच्चों को पढ़ाती है परj उसके साथ सरकारें दगाबाजी कर रही हैं। भगतसिंह, सुखदेव व राजगुरु के शहीदी दिवस सही मायने में उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के संकल्प दिवस होने चाहिए।
दलित अत्याचार में उत्तर प्रदेश का स्थान टॉप पर है. 2017 में यूपी में सबसे ज्यादा 11,000 दलित अत्याचार के मामले दर्ज किए गए. इसके बाद बिहार का नंबर आता है, जहां दलित अत्याचार के 6,700 मामले सामने आए. मध्य प्रदेश में इसका आंकड़ा 5,800 का था।
आज मीडिया भद्दे और अश्लील गानों कि जगह-जगह घटाटोप है। हम लोगों को मिल कर जगह-2 पुस्तकालय खोलने और क्रांतिकारी गानो की नई मुहिम की शुरुवात करनी होगी।
इसी मुहिम में हम लोगों ने मिलकर इटहा देवीपुर और बरिया में शहीद भगत सिंह पुस्तकालय खोला है और रामनगर में सावित्री बाई फूले पुस्तकालय खोलने की योजना है। आप लोग इस मुहिम से जुड़े और सहयोग करे।