केवल कृष्ण पनगोत्रा
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, जिसे आम लोग स्थानीय बोलियों यानि डायलेक्ट (उपभाषा, मक़ामी बोली या प्रांतीय बोली) में कुनीन नाम से जानते हैं। यह वही कुनीन है जिसने पीएम मोदी से दोस्ती का दम भरने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दवा की आपूर्ति न होने की सूरत में भारत को जवाबी कार्रवाई की धमकी दे डाली। ट्रंप ने कुछ रोज़ पहले कहा था कि भारत ने यदि इस दवा के निर्यात पर से प्रतिबंध नहीं हटाया तो हम जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं. अब भारत अमेरिका को इस दवाई की आपूर्ति करेगा। अमेरिका के अतिरिक्त भारत ब्राजिल और इजरायल को भी संभवत: हाइड्रॉक्सीक्लोक्वीन की आपूर्ति करेगा।
क्या है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन:
सटीक चिकित्सकीय भाषा का अक्षरशः अनुसरण करें तो हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एक इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवा है जिसका उपयोग 60 वर्षों से मलेरिया और ऑटोइम्यून रोगों जैसे कि सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस और सूजन गठिया के इलाज के लिए किया जाता है, और संभावित नए उपयोग और लाभ सामने आते हैं। मलेरिया के इलाज के लिए मुख्य रूप से एंटीमाइरियल दवाओं (जैसे क्लोरोक्वीन और इसके करीबी संरचनात्मक एनालॉग) विकसित किए गए थे; हालाँकि, वे कई त्वचाविज्ञान, प्रतिरक्षाविज्ञानी, रुमेटोलॉजिकल और गंभीर संक्रामक रोगों के लिए फायदेमंद हैं, जिनके लिए वे आज भी उपयोग किए जाते हैं।पिछले 50 वर्षों में विकसित सबसे आकर्षक दवाओं में से दो क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन, असंख्य गैर-मलेरिया रोगों में उनकी प्रभावशीलता के लिए तेजी से पहचाने जाते हैं। उन्नत शोध में, क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को विभिन्न इम्युनोमॉड्यूलेटरी और इम्यूनोसप्रेसिव प्रभाव दिखाया गया है, और वर्तमान में आमवाती रोगों, ल्यूपस एरिथेमेटोसस (विभिन्न रूपों) और त्वचा रोगों के प्रबंधन में और कैंसर के विभिन्न रूपों के उपचार में भूमिकाएं स्थापित की हैं।
भारतीय रसायन शास्त्री आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र राय
यह जानने योग्य है कि कुनीन की खोज में एक भारतीय रसायन शास्त्री के ही प्रयासों की भूमिका है। इस रसायन शास्त्री का नाम है आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र राय। उनको भारतीय रसायन शास्त्र के पिता भी कहा जाता है। आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र राय का जन्म बंगला देश के जेसोर जिले में 02 अगस्त, 1861 को हुआ था और 16 जून, 1944 को कलकत्ता में उनका निधन हो गया। उनकी शिक्षा विद्यासागर कॉलेज और एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में हुई थी। वह भारत में बंगाल केमिकलस् एंड फॉर्मासियूटिकल कंपनी के संस्थापक हैं। इस कंपनी की संस्थापना उन्होंने 1901 में की थी। ब्रिटेन स्थित ‘दि रॉयल सोसाइटी ऑफ कैमिस्ट्री’ ने उन्हें पट्टिका प्रदान करके सम्मानित किया था। 1896 में उन्होंने ‘स्टेबल मरकियूरस कंपाउंड नाइट्रेट’ नामक रसायन की खोज की। वह आधुनिक भारत के पहले रसायन शास्त्री, शिक्षक एवं रसायन शोधकर्ता के रूप में प्रसिद्ध हैं। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उनके नाम से एक डाक टिकट भी जारी किया था।
‘लाइफ एंड एक्सपपिरिएंसिस ऑफ ए बंगाली केमिस्ट’ उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक है,जो वर्ष 2017 में प्रकाशित हुई है। यह रसायन शास्त्र के पहले खोजी और भारत माता के सपूत आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र राय की रासायनिक खोजों का ही परिणाम है कि भारत आज भी कुनीन का प्रमुख निर्माता देश है। किसे पता था कि करोना संक्रमण के कहर पर पहला प्रहार भारत के सपूत द्वारा खोजी गई हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से ही होगा।