राम जनम यादव की रिपोर्ट
लखनऊ : प्रदेश के बहुचर्चित हाथरस रेप कांड की घटना का सच अभी भी किसी के गले नहीं उतर रहा है विभागीय जांच में रोजाना नए-नए किस्से सामने आ आ रहे हैं देश की जनता में इस जघन्य अपराध को लेकर जिस तरह का भारी आक्रोश है उसके मद्देनजर सरकार ने हाथरस घटना की जांच का जिम्मा सीबीआई के सुपुर्द कर दिया है सूबे के मुखिया ने सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी जिसे सरकार द्वारा मान लिया गया है, लेकिन क्या सीबीआई की निष्पक्ष जांच पर दोषियों पर कार्यवाही हो पाएगी बड़ा सवाल है?
इससे पहले भी उन्नाव रेप कांड की घटना पर प्रदेश में काफी बवाल हो हल्ला मचा था जिसमें दोषियों को बचाने के लिए प्रशासन द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए थे कुछ लोगों ने तो बकायदा रेप के दोषियों को बचाने के लिए समर्थन में रैली भी निकाली थी कि हमारा विधायक निर्दोष है, उस समय भी प्रदेश की जनता सड़क पर उतर कर दोषियों पर करवाई करने की मांग करती देखी गई थी लेकिन पीड़िता को न्याय मिलने में इतनी देर कर दी गई थी कि पीड़ित पक्ष के कई लोगों के जान गंवाने के बाद जांच सीबीआई के पास ट्रांसफर हुई थी जिसमें सीबीआई ने अपनी निष्पक्ष जांच में रेप की साजिश को सही ठहराते हुए दोषी प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए सरकार के पास भेज दिया था जिसमें उन्नाव रेप कांड में आरोपी विधायक को बचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर सवालिया निशान लगा था आखिर एक विधायक को बचाने के लिए किस तरह से प्रशासन की तरफ से मामले में हीला हवाली करते हुए जमकर लीपापोती की गई थी,
उन्नाव रेप कांड में चार्जशीट दाखिल कर सीबीआई ने दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही करने के लिए रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी जिसमें दर्शाया गया था कि आरोपियों पर आरोप सिद्ध हो गया तथा एक विधायक को बचाने के लिए किस तरह से उसे प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त था घटना में किस-किस उच्च अधिकारी की संलिप्तता पाई गई थी जांच संबंधी पूरी डिटेल सीबीआई ने कार्यवाही के लिए सरकार को सौंपी थी लेकिन कार्यवाही तो दूर उन अधिकारियों का बकायदा प्रमोशन कर दिया गया था।
अब सवाल खड़ा होता है कि क्या हाथरस केस में भी जनता को एक बार फिर वही कहानी देखने को मिलेगी?
क्या दोषियों को सजा मिल पाएगी या उन आला अधिकारियों पर कार्रवाई होगी जिन्होंने हाथरस जैसे जघन्य अपराध पर अपनी भूमिका का गलत तरीके से निर्वहन करते हुए पीड़िता का दाह संस्कार रात के अंधेरे में कर दिया था?
जिन अधिकारियों ने यह साबित करने की भरपूर कोशिश की थी कि रेप तो हुआ ही नहीं है नाही पीड़िता की जीभ कटी है जिसमें पोस्टमार्टम और एफएसएल रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया था।
उन्नाव रेप कांड में जनता के आक्रोश को देखते हुए आरोपी विधायक को जेल की सलाखों के के पीछे भेज दिया गया था लेकिन क्या उन अधिकारियों पर कार्यवाही हुई जिनकी घटना में संलिप्तता पाई गई थी जिसकी सिफारिश सीबीआई ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में सरकार को सौंपी थी?
अब देखना होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार हाथरस रेप कांड के आरोपियों व दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाई करती है? या इसमें भी जनता को भेदभाव देखने को मिलेगा जो अभी तक देखा गया है जिसके लिए प्रदेश सरकार जानी-पहचानी भी जाती है ।