कानपुर। बिकरू कांड के बाद जहां पूरा देश दहल उठा था, वहीं प्रदेश के सभी नाकों पर पुलिस हाईअलर्ट पर थी। इसके बावजूद पड़ोसी जिले कानपुर देहात की रसूलाबाद थाना प्रभारी और पुलिस पर शायद इसका कोई असर नहीं था। न नाके पर चौकसी थी और न सड़कों पर गस्त। यही वजह रही कि वारदात को अंजाम देने के बाद विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा 62 घंटे तक कानपुर देहात में बेखौफ घूमते रहे। मददगार रामजी उर्फ राधे ने एसटीएफ के सामने एक और राजफाश किया था कि वारदात के ठीक दूसरे दिन प्रभात मिश्रा उसके साथ रसूलाबाद के बाजार में करीब एक घंटे तक घूमा। उसने विकास दुबे के लिए कपड़े भी खरीदे थे। इस पूरे घटनाक्रम से रसूलाबाद पुलिस की भूमिका भी चौबेपुर थाना पुलिस की तरह संदेह की भूमिका में आ खड़ी हुई है।
एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ में रामजी ने विकास दुबे की फरारी के जो राज उगले हैं, उससे कानपुर देहात पुलिस सवालों के घेरे में है। 62 घंटे तक कानपुर देहात क्षेत्र में रुकने, पंक्चर बाइक से सफर करने के साथ ही अब नई जानकारी सामने आई है। रामजी ने एसटीएफ को बताया है कि रसूलाबाद में विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा जब उसके घर पहुंचे तो तीनों के पास हथियारों के अलावा कुछ नहीं था।
इस पर विकास दुबे ने अपने लिए कपड़े और अंडरगारमेंट लाने के लिए कहा। इसके बाद रामजी और प्रभात मिश्रा बाइक से रसूलाबाद बाजार पहुंचे। दोनों ने करीब एक घंटे का समय रसूलाबाद बाजार में बिताकर कपड़े खरीदे। लॉकडाउन के समय बाजारों में भीड़ काफी कम थी। प्रभात मिश्रा का इस तरह से बाजार जाना दर्शाता है कि वह कानपुर देहात पुलिस से पूरी तरह से बेखौफ था।
जय गुरुदेव का चोला पहन कर भागा था विकास
रसूलाबाद, तुलसीनगर निवासी मददगार रामजी के पिता बाबूराम संत जय गुरुदेव के अनुयायी हैं। भागते समय विकास दुबे ने पहचान छिपाने के लिए बाबूराम का कुर्ता व साफा बांधकर खुद को जय गुरुदेव के अनुयायी की तरह बना लिया था। उसने यह सब इसलिए किया, ताकि उसकी पहचान छिप सके।