आत्माराम त्रिपाठी
आज पूरे प्रदेश में अबैध बालू खनन ओवरलोडिंग चरम पर है। उसमें बांदा जनपद भी अछूता नहीं रहा। आलम यह है कि माननीयों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों सहित कई कलमकारों के इस अबैध बालू खनन में संलिप्तता नजर आने लगी है। कुछ पर्दे में तो कुछ खुलेआम, कुछ रात्रि के अंधेरे में तो कुछ दिन के उजाले में इस अबैध खनन परिवहन में भागीदारी निभा रहे हैं और एक दूसरे को अपने यराना का सबूत देते हैं। कुछ कलमकारों ने कलमकारों का ही ठेका ले उनके नाम से सुबिधा शुल्क इन अबैध बालू खनन माफियाओं से वसूलते हैं तो कुछ इन माफियाओं को प्रशासनिक गतिविधियों की जानकारी देने के एवज में इनसे सुबिधा प्राप्त करते हैं तो कुछ कार्य में बराबर की हिस्सेदारी में कार्यरत हैं। वहीं माननीयों की बात करें तो यह पर्दे के पीछे रहकर अपने रिश्तेदारों नुमाइंदों के माध्यम से इस अबैध खनन के कारोबार में संलिप्त हैं। इन्हें जंहा से इनका नजराना नहीं मिला वहीं से इनका बिरोध शुरू।जिसका खामियाजा आम जनमानस को झेलना पड़ रहा है।अबैध खनन के चलते नदियों का ज़हां जलस्तर नीचे जा रहा है वहीं माफियाओं द्वारा नदियों के साथ-साथ टीलों को ध्वस्त कर बालू निकालने से टीले नष्ट हो रहे हैं जो बरसात में उफान पर आई नदियों के बढ़ते जलस्तर से किनारे बसे गांवों में रह रहे लोगों को बचाते हैं। इन सबकी परवाह इन्हें कहां? इन्हे तो इनके गर्भ से लालसोना की लूट करने से मतलब है, फिर चाहे नदियां बचे य न बचे ! आमजनमानस बचे य न बचे! इन्हे तो लूटना है! लूट करने वाले लुटेरे होते हैं जिनका कोई ईमान धरम नहीं होता और अगर कुछ होता है तो सिर्फ और सिर्फ लूट करना। इसके सामने जो आए उसे नेस्तनाबूद करना और यही यहां हो भी रहा है। राजापुर ,बरकोला, बडैछा,बिल्हरका, चांद पाटी,पाडादेव,लहुरेटा,रनगढ, बदौसा,खफ्टिहा , सहित अन्य सभी खदानों से मानक बिहीन खनन हो रहा है। कोई भी ऐसी एक खदान नहीं है जंहा शासन से किये गये अनुबंधों की शर्तो को पूरा करते हुए खनन का कार्य कर रहे हो ।यह माननीयों सहित प्रशासनिक अधिकारी सब जानते हैं पर चुप हैं। कुछ कलमकारों ने अपनी लेखनी के जरिए इसे कई बार उजागर भी किया पर इस बेमेल गठजोड़ बंधन को तोड़ने में वह भी असफल रहे। इससे हम भी आशंकित है कि यह गठजोड़ जनपद को कंहा डुबायेगा? इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल प्रतीत होता है पर प्रयास जारी रहेगा जैसे ही नाम फिर चाहे वह कलमकार का हो या माननीयों का या फिर प्रशासनिक अमले का, सबके सामने होगा। अभी तो जन चर्चाओं के तहत नाम आए हैं, प्रमाण नहीं है इसलिए इंतजार करें ।जल्द इनके चेहरों से नकाब हटेगा।