अनिल अनूप
ऐसे वक्त में जब भारत अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वागत में पलक-पांवड़े बिछाये बैठा है, डोनाल्ड ट्रंप व अमेरिकी सरकार की तरफ से ऐसे बयान आए हैं, जो संवेदनशील भारतीय को आहत करते हैं। नि:संदेह अमेरिका की सारी रीतियां-नीतियां अमेरिका से शुरू हो कर अमेरिका पर ही समाप्त हो जाती हैं, इसके बावजूद भारत अमेरिका के प्रति नरम रुख अपनाये हुए है। ट्रंप की यात्रा से पहले अमेरिकी सरकार ने ऐसा फैसला लिया है, जिससे भारतीय निर्यातकों की मुश्किल बढ़ जायेंगी। उसने भारत को उस सूची से बाहर कर दिया है, जिसके अंतर्गत भारतीय उत्पाद बिना किसी टैक्स के अमेरिकी बाजार में पहुंच सकते थे। अब भारतीय उत्पादों के लिये अमेरिकी बाजार में मुकाबला कड़ा हो जायेगा। भारतीय उत्पादों को उस जांच से गुजरना होगा जिसमें देखा जाता है कि उत्पाद में सरकारी सब्सिडी की भूमिका तो नहीं है। फिर ट्रंप का बयान आया कि भारत से किसी बड़ी डील को अंजाम नहीं दिया जायेगा। यह भी कहा कि भारत ने अमेरिका के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। यह भी जोड़ दिया कि फिर भी वे नरेंद्र मोदी को पसंद करते हैं। अब ह्वाइट हाउस से बयान आया कि ट्रंप और मोदी की वार्ता में धार्मिक स्वतंत्रता एक मुद्दा होगा। जाहिरा तौर सीएए, एनआरसी और कश्मीर के मुद्दे पर दुनिया के कुछ देशों ने जो दबाव बनाया है, उसी दबाव को आगे बढ़ाकर ट्रंप बातचीत की टेबल पर लाभ उठाने की फिराक में हैं।
नि:संदेह ट्रंप की भारत यात्रा के जहां कूटनीतिक व व्यापारिक निहितार्थ हैं, वहीं इसी साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिये प्रवासी भारतीय का समर्थन जुटाना भी उनका मकसद है। अमेरिका में हुए ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम की तर्ज पर अहमदाबाद में होने वाले ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम को लेकर ट्रंप खासे उत्साहित हैं । स्वागत करने वाले लोगों की संख्या को खुद बढ़ा-चढ़ाने के लोभसंवरण से वे मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। दरअसल, अमेरिका में रहने वाले 40 लाख भारतीयों को लुभाना भी ट्रंप का भारत आने का बड़ा मकसद है। अमेरिकी कंपनियों के हितों की पूर्ति के लिये डेयरी उत्पादों व मेडिकल उपकरणों पर छूट हासिल करना भी उनका मकसद है। रक्षा सौदों पर दोनों देशों में सहमति बन ही चुकी है। कुल मिलाकर ट्रंप भारत दौरे से अपने अमेरिकी मतदाताओं में ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ नारे को बुलंद करवाना चाहते हैं। उनके बयान इस मकसद से आ रहे हैं कि वार्ता की टेबल पर भारत पर दबाव बनाया जा सके। भारत के नजरिये से इस यात्रा का कूटनीतिक लाभ यह है कि दुनिया में सीएए, एनआरसी और कश्मीर को लेकर जो विरोध के सुर उठ रहे हैं, उन पर इस तर्क का असर होगा कि दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क का मुखिया इन मुद्दों पर भारत के साथ खड़ा है। फिर क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों को भी भारत को साधना है। साथ ही आर्थिक सुस्ती झेल रहे भारत में विदेशी निवेशकों के लिये ट्रंप की यात्रा एक सकारात्मक संकेत होगी।