धर्मेंद्र राघव की रिपोर्ट
अलीगढ़। रेलवे और बस स्टेशनों के आसपास के होटलों की जिक्र आते ही जेहन में यही तस्वीर उभरती है, कि होटल में यात्री या पयर्टक ठहरते होंगे या फिर यहां छोटे-छोटे पारिवारिक कार्यक्रमों के आयोजन होते होंगे। लेकिन गांधी पार्क बस स्टैण्ड पर कई होटलों में नजारा कुछ और ही है। इन होटलों में दिन के हिसाब से नहीं बल्कि घंटे की दर से कमरों की बुकिंग होती है जहां न तो आधार कार्ड की जरूरत है न ही किसी और परिचय की।
बस स्टैण्ड और रेलवे स्टेशन के इर्द गिर्द कई ऐसे होटल खुल गए है जो युवक-युवतियों के लिए मिलन केन्द्र हैं या यूं कहें देह के धंधे के लिए ही खुल गए हैं जहां पुलिस के संरक्षण में देह व्यापार का धंधा होता है। लेन-देन का मामला बिगडने पर छापेमारी होती है। पुलिस की वसूली का रेट बढने के बाद धंधा बदस्तूर जारी हो जाता है। महानगर में सर्वाधिक होटल और रेस्तरों ऐसे हैं जहां होटलों का दाना-पानी युवतियों के मेल-मिलाप के धंधे से ही चल रहा है।
व्हाट्सएप से संचालित होता है पूरा खेल
सूत्रों की मानें तो शहर में मोबाइल व व्हाट्सएप के सहारे सेक्स रैकेट का संचालन हो रहा है। मोबाइल के जरिए ही होटल की बुकिंग के साथ पुरुष और महिलाओं को समय भी बताया जाता है।
होटल और गेस्ट हाउस में छापेमारी के दौरान पुलिस के हाथ बहुत कुछ लगता है, लेकिन इनमें से बमुश्किल 30 फीसदी सच ही बाहर पहुंच पाता है। होटल संचालकों से जुड़े दलालों द्वारा ग्राहकों को व्हाट्स एप पर लड़कियों की तस्वीरें व रेट लिस्ट तक भेजी जाती थी। ग्राहक के लड़की पसंद करने पर उसे होटल बुलाकर एडवांस रुपये ले लिए जाते हैं। इतना ही नहीं दलालों द्वारा ऐसे कई साइट्स बना लिए गए हैं। इन पर बकायदा सदस्य बनने का ऑफर भी रहता है।
कुछ होटल देह व्यापार के लिए काफी समय से बदनाम
महानगर के कुछ होटल देह व्यापार के लिए काफी समय से बदनाम रहे हैं। यहां सेक्स रैकेट का कारोबार पिछले कई वर्षो से चलता है। पहले भी इन होटलों में छापेमारी संदिग्ध अवस्था में महिला पुरूष पकड़े जा चुके हैं। पूर्व में हुई कार्रवाई के दौरान होटल मालिकों को पुलिस ने बख्श दिया जिसका परिणाम रहा कि यह अवैध धंधा कुछ ही समय में दुबारा शुरू हो गया।
घंटे के हिसाब से कमरे की बुकिंग
बदनाम होटल पैसा कमाने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। इसमें कुछ ऐसे भी है जहां घंटे के हिसाब से कमरे की बुकिंग होती है। आने वाले जोड़ों से मोटा पैसा वसूला जाता है। यहां जिले के अलावा पड़ोस के कुछ जनपदों से भी युवतियां व युवक पहुंचते हैं। इनको पांच सौ से एक हजार रुपये में कमरा उपलब्ध कराया जाता है।
कुछ होटलों में वाट्सएप और फोन से भी कमरों की बुकिंग होती है। इसके लिए अतिरिक्त किराया लिया जाता है। अधिक पैसा लेकर होटल के कर्मचारी बिना किसी आईडी के भी कमरा उपलब्ध करा देते हैं।
महिलाओं की नहीं ली जाती है आईडी
सेक्स रैकेट से जुड़े होटलों में सब कुछ काफी सतर्कता से किया जाता है। पुलिस की छापेमारी में खुलासा हुआ कि यहां कमरे बुक करने के लिए महिलाओं की आईडी नहीं ली जाती थी। होटलों में जो भी कमरे बुक थे उसमें से अधिकांश पुरूषों के नाम पर ही थे। पुलिस होटल मालिकों की इस मनमानी की भी जांच कर रही है।
पुलिस के नाक के नीचे फल फूल रहा कारोबार
शहर के अलग अलग होटलों में सेक्स रैकेट का कारोबार पुलिस के नाक के नीचे फल फूल रहा है। पुलिस शहर में चल रहे रैकेट पर रोक लगाने में नाकाम रही है। गांधी पार्क बस स्टैण्ड पर छोटे बड़े एक दर्जन से अधिक होटल है। इसमें से आधा दर्जन से अधिक होटल में यह कारोबार चलता है। गांधी पार्क बस स्टैण्ड पुलिस चैकी के समीप के होटलों में यह कारोबार चल रहा है। लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। जिससे पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
देह व्यापार से परेशान राहगीर
बस स्टैण्ड पर चल रहे देह व्यापार से आस-पास के दुकानदार और राहगीर भी परेशान हैं। स्थानीय दुकानदारों ने इसके बारे में कई बार पुलिस से शिकायत की है, लेकिन पुलिस इन होटलों पर कार्रवाई से कतराती रहती है। जिससे आस-पास के रहने वाले लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
अवैध तरीके से चल रहे होटल और गेस्ट हाउस
महानगर में गेस्ट हाउस और होटल सराय एक्ट तक में पंजीकृत नहीं हैं। महत्वपूर्ण यह है कि पिछले तीन साल में खुले गेस्ट हाउस ऐसे इलाकों में खुले हैं जिनका धंधा सिर्फ शराब और देह के धंधे पर टिका हुआ है। इन गेस्ट हाउसों के सर्वाधिक ग्राहक युवा जोड़े हैं, जो शाम को आते हैं और मौज-मस्ती कर सुबह लौट जाते हैं। बस स्टैण्ड व उसके आसपास होटल अवैध तरीके से संचालित होते हैं।
उनका सराय एक्ट में पंजीकरण तक नहीं है। आने-जाने वालों का ठीक ढंग से लेखा-जोखा भी नहीं रखा जाता है।