आत्माराम त्रिपाठी
प्रर्यावरण, को स्वच्छ साफ सुथरा रखने में मदद गार ब्रच्छो का जीवन खतरेमे ।आज इनके रक्षक ही भक्षक बने हुए हैं। सरकार की मंशा के अनुरूप प्रर्यावरण को स्वच्छ साफ रखने हेतु ब्रच्छा रोपण अभियान चलाया जाता है। लोगों को इस कार्य के लिए जागरूक किया जाता है। गांव घर से लेकर सड़क उद्यान,पर्वत जंगलों में ब्रच्छा रोपण कार्य किया जाता है। साथ ही इनके सुरक्षा के लिए बकायदा एक विभाग का ही गठन किया गया जिसे हम वनविभाग के नाम से जानते हैं। इनके जिम्मे में प्रकति की इस अनुपम भेंट के रखरखाव सहित उनके सुरक्षा की भी जिम्मेदारी इनके कंधों पर रख दी गई है।
अफसोस आज सड़क से लेकर जंगल तक ब्रच्छो का चोरी छिपे अबैध कटान बदस्तूर जारी है और वह भी इन रक्षकों की ही मदद से जिसमें हम यह कहने को मजबूर हैं कि रक्षक ही भक्षक बन गए हैं ऐसे स्थित में धरा के श्रृंगार की सुरक्षा कैसे होगी कैसे बचेगा प्रर्यावरण । वृक्ष केवल वृक्ष नहीं है यह हरजीव मात्र को जीवन देने वाले हैं स्वयं सर्दी-गर्मी के थपेड़ो की मार को झेलते हुए सभी को अपनी शीतलता प्रदान कर अपने फलों से सामने वाले की छुधा मिटाते हैं। दूषित हवा को अपने में समाहित कर स्वच्छ साफ सुथरी हवा प्रदान करते हैं। किंतु हम इन्हें क्या देते हैं असमय इनकी म्रत्यु।जो हमें जीवन देता है हम उसीकी निर्मम तरीके से कभी कुल्हाड़ी चलाकर तो कभी आरा मशीनों को इनके सीने में चला निर्ममता से इनके टुकड़े टुकड़े करवा डालते हैं और इसमें भी जी नहीं भरता तो आरामशीन कारखानो में चीरान करवा देते हैं।कैसी बिडबंना है कि जो हमें जीवन देता है हम उसे मौत देते हैं। और यह दुखदाई पहलू तब और बन जाता है जब इसके रक्षक ही भक्षक बने दिखाई देते हों।