आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा। आज सबकी जुबां पे सबके टाइपिंग वाली अंगुली में एक ही नाम फिजा में गूंज रहा है। और वह है दलाल दलालों का कि इन्हे पनाह बढ़ावा कौन देता है। तो आप भी जानें लेखपाल कानूनगो को कितनी सैलरी सरकार से मिलती है।की इनके लिए ज्यादा है तभी तो यह सभी प्राइवेट लेखपाल कानूनगो अलग-अलग रखें है जो सारी सरकारी गोपनीय दस्तावेजों को भी तैयार करते हैं और यह सब उस तैयार दस्तावेज में मात्र हस्ताक्षर कर अपने कार्य की इतिश्री कर लेते हैं।ऐसा नहीं है कि यह लोग उन्हें परिश्रमक नहीं देते परिश्रमक देते हैं साथ इन्ही के माध्यम से दलाली करवा जनता का शोषण भी करते हैं।और जनता इनके हाथों अपने आप प्यार से या मजबूरी से शोषण कराने को बाध्य हो जाती है।अब यह दलाल निजी किंतु विस्वासपात्र कर्मचारियों के रूप में आगे अधिकारियों माननीयों की चौखटों पर भी कार्य करते हुए नजर आते हैं और अपने फन का इस्तेमाल कर अपने आकाओं को खुश रखने में कोई कसर संकोच नहीं करते हैं।दलाल के विना किसान का क्रेडिट कार्ड नहीं बनता मंडी में उसकी उपज का कोई खरीदार नहीं मिलता,आरटीओ ऑफिस में और तो और ड्रायविंग लायसेंस भी नहीं मिलता, अधिकारी ठेकेदारों के हित को देखते हुए उन्हें टेंडर जारी करते हैं जनता के हित को नहीं। ऐसा ही वाकया हुआ जिला पंचायत द्वारा रिसौरा ग्राम में एक नाले के निर्माण कार्य में जिसे अधूरा छोड़ा गया। पूछने पर जेई का जवाब था कि अगर 8/10लाख से ज्यादा का टेंडर होता है तो वह शासन के पास मंजूरी के लिए जाता है नीचे हम लोग ही जारी कर देते हैं अभी बरसात है ठेकेदार का नुक़सान होगा बाद में कार्य हो जायेगा। यानी इन्हे जनमानस की चिंता नहीं है अगर है तो अपने हितों की। ऐसे ही दलाल कमीशनखोर दारूखोर आज हर जगह सक्रिय है। और हम उन्हें खोज रहे हैं देख रहे हैं सिर्फ सीमित जगहों पर यह तो अंतर्यामी है सर्वत्र व्यापी है इनकी महिमा न्यारी है।हर जगह तुम ही तुम हो तुम सर्बसक्तिमान हो यंहा वंहा जंहा तंहा हर जगह तुम ही तुम हो तुमको तुम्हारे महिमा को नमस्कार है।