अमरवीर सिंह की रिपोर्ट
पंजाब का लाल पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हो गया। शहीद के गांव हरचोवाल में शहादत की खबर पहुंचते ही शोक की लहर दौड़ पड़ी। शहीद गुरचरण 14 सिख रेजीमेंट में तैनात थे। पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। मां ने अपने लाल को सैल्यूट के साथ आखिरी विदाई दी। यह भावुक पल देख हर किसी की आंखें नम हो गईं।
बटाला के गांव हरचोवाल के जवान नायक गुरचरण सिंह (28) जम्मू-कश्मीर के राजौरी में गुरुवार को भारत-पाकिस्तान सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से किए गए हमले में शहीद हो गए।
गुरुवार को शहादत की खबर गांव हरचोवाल पहुंची तो पूरा गांव शोक में डूब गया। सात अक्तूबर 1991 को जन्मे गुरचरण सिंह 18 साल में ही फौज में भर्ती हो गए थे। वे 14 सिख रेजीमेंट में थे।
परिवार में पत्नी रंजीत कौर, मां पलविदंर कौर और दो बच्चे हैं। गुरुवार शाम शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो पूरा गांव बिलख पड़ा। अंतिम संस्कार से पहले सेना के जवानों और श्री हरगोबिंदपुर के विधायक बलविंदर सिंह लाड़ी और परिजनों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद जवानों ने हथियार झुकाए और फिर हवाई फायरिंग कर शहीद गुरचरण सिंह की शहादत को सलामी दी।
शहीद की मां पलविंदर कौर ने बताया कि गुरुवार सुबह उन्हें फोन आया था कि उनका बेटा जख्मी हो गया है। इसके बाद गुरचरण सिंह की पत्नी रंजीत कौर को फोन आया कि गुरचरण सिंह शहीद हो गए हैं। शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के जनरल सचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि सरकार गांव में शहीद के नाम का यादगारी गेट बनाकर सम्मानित करे।
शहीद गुरचरण सिंह की चिता को जब छह माह के बेटे अगमजोत सिंह ने मुखाग्नि दी तो सभी लोगों की आंखें नम हो गई। मां रंजीत कौर के आंसू बेकाबू हो गए। शहीद गुरचरण सिंह के पिता सलविंदर सिंह रिटायर्ड फौजी हैं। उन्होंने कहा कि बेटे से बिछड़ने का दर्द है लेकिन गर्व इस बात का है कि उनके बेटे ने अपने देश के लिए शहादत का जाम पिया है। उन्होंने बताया कि गुरचरण सिंह अंतिम बार जनवरी में लोहड़ी पर आया था। वहीं बुधवार रात को गुरचरण का फोन आया था। दोनों बच्चों की फोटो दिखाने को कहा और जल्द ही छुट्टी पर आने की बात भी कही लेकिन उन्हें क्या पता था कि बेटा जिंदा नहीं लौटेगा।