बज्म ए जिगर नजीबाबाद की शेरी नश्स्ति में शायरो ने पेश कि मशहूर शायर राहत इंदौरी को खिराज़ ए अकीदत
शादाब जफर शादाब की रिपोर्ट
बीती शाम बज्म ए जिगर की जानिब से मशहूर शायर राहत इंदौरी को खिराज़ ए अकीदत पेश करते हुए सोशल डिशटेंससिंग से एक शाम राहत इंदौरी के उनवान से एक एक शेरी नश्स्ति का इनेकाद मोहल्ला नवाबपुरा मै शादाब जफर शादाब की रिहाईशगाह नजमी हाउस पर किया गया।जिस में शायरी ने राहत इंदौरी साहब की मौत पर रंजो गम का इजहार किया। और राहत इंदौरी साहब की शायरी और उन की जिन्दगी पर चर्चा की मुशायरे की सदारत कर रहे मुल्क के मशहूर शायर राहत इंदौरी साहब के साथ हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि दुबई, पाकिस्तान में कई मुशायरो में शिरकत करने वाले बज्म के सरपरस्त मौसूफ अहमद वासिफ ने उन को बेमिसाली शायर व इन्सान बताते हुए उन के कई किस्से सुनाये।
शेरी नशिस्त का आगा़ज तिलावत ए कलाम पाक से डाक्टर तय्यब जमाल ने किया।
मेज़बान शायर शादाब जफर शादाब ने राहत साहब को खिराज़ ए अकीदत पेश करते हुए उम्दा गजल पेश करते हुए कहा…..
जो काम के थे लोग वो बेकार हो गये, ना एहल मेरी क़ौम के सरदार हो गये।
महफ़िल में कल अमीर ए शहर की चला गया, दो चार सांस लेने भी दुश्वार हो गये।
शेरी नशिस्त की निज़ामत फरमा रहे डा.तैय्यब जमाल ने राहत इंदौरी साहब की मौत पर कहा….
जो कुछ भी मेरे पास था सब कुछ लुटा गया, लेकिन खुशी की बात है में तुझ को पा गया।
कुलफत में हो भले को आराम ए जिस्त में,हम को हर एक हाल में जीना सिखा गया।
बुजुर्ग शायर डा.रईस भारती ने राहत साहब के यू दुनियां से रुख़सत हो जाने पर कहा…
बाखुदा तू ही बेवफा निकला,आज भी तुझ को याद करता हूँ।
नौजवान शायर अकरम जलालाबादी ने खूबसूरत तरन्नुम में ग़ज़ल पेश करते हुए राहत साहब को कुछ यू खिराज़ ए अकीदत पेश की…
हम को उर्दू का सबक याद कराने वाला, हर घडी याद बहुत आयेगा जाने वाला।
क्या अजब शहर है वो शहर ए खामोशा अकरम,जा के वापस नहीं आता कोई जाने वाला।
शायर शकील अहमद वफा ने राहत साहब की मौत पर उन्हें जन्नतुल फिरदौस की दुआ देते हुए कहा….
हमारी आंख से पोशीदा हो गये राहत, हमारे आईना ए दिल में उन की सूरत है।
रसूल ए पाक की निस्बत थी उन के सीने में, यकीन जानिये उन का मकाम जन्नत हैं।
शेरी नशिस्त की सदारत फरमा रहे शायर मौसूफ अहमद वासिफ ने राहत इंदौरी को खिराज़ ए अकीदत पेश करते हुए कहा….
काम ऐसा वो कर गया राहत,बस फिज़ा में बिखर गया राहत।
वो तो जिन्दा हैं अपनी गज़लो में, कौन कहता है मर गया राहत।
शेरी नशिस्त में अबरार सलमानी, अफशान सलमानी, असद मनसूब एडवोकेट, अदीब शादाब आदि मौजूद रहे। सदारत मौसूफ अहमद वासिफ व निज़ामत डाक्टर तैय्यब जमाल ने की।