बंगाल क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और खेल मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला सियासत के बाद एक बार फिर से क्रिकेट की ओर लौट आए हैं. इस बार शुक्ला ने बंगाल की अंडर -23 टीम के कोच के रूप में अपनी नई पारी शुरू की है. कोच बनते ही शुक्ला ने खिलाड़ियों के लिए कड़े नियम बनाए हैं. उन्होंने खिलाड़ियों को सोशल मीडिया से दूर रहने की सलाह दी है. साथ कहा कि कोई भी खिलाड़ी लंबे बाल नहीं रखेगा. साथ ही अगर बंगाली बोलने और समझने में किसी खिलाड़ी को दिक्कत हैं तो वो सिखना शुरू कर दें.
बंगाल घरेलू क्रिकेट के दिग्गज रहे शुक्ला ने साल 2016 में तृणमूल कांग्रेस (TMC) ज्वाइन की थी. इसके बाद वो राज्य सरकार में इस साल जनवरी तक खेल और युवा मामलों के मंत्री थे.
फिर से लौटे क्रिकेट की ओर
शुक्ला को बाद में टीएमसी का हावड़ा जिला अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन इस साल विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया. अब वो बंगाल अंडर -23 कोच के रूप में एक बार फिर से क्रिकेट के मैदान पर लौटे हैं.
कोच के रूप में जिम्मेदारी संभालने के बाद शुक्ला ने कहा- “मैंने लड़कों से कहा है कि सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट न करें. उन्हें अनुशासन बनाए रखना होगा. ” चार घंटे से अधिक समय तक चले फिटनेस कैंप में 60 क्रिकेटर थे, जिन्हें ग्रुप में बंटा गया था और प्रशिक्षण के लिए बैच में आए थे.
जारी किया है फरमान
शुक्ला ने कहा कि लंबे बालों वाले लोगों को तुरंत सैलून जाना होगा. साथ ही उन्हें टीम बॉन्डिंग के लिए बांग्ला सीखनी होगी. जूनियर से सीनियर टीम तक की सप्लाई बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए मैंने जूनियर क्रिकेटरों के साथ काम करना चुना है.
शुक्ला ने कहा “मैं लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए जिलों से अधिक क्रिकेटरों को आते देखना चाहता हूं. बंगाल क्रिकेट संघ जिला खेलों के साथ-साथ क्लब खेलों के बारे में बहुत गंभीर है और एसोसिएशन प्रगति के लिए वह सब कुछ कर रहा है जो वे कर सकते हैं.”
भारत के लिए तीन वनडे खेलने वाले शुक्ला ने कहा कि उनका काम यह सुनिश्चित करना है कि बंगाल के अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में जगह बनाएं. उन्होंने कहा, ‘अब हमें जिलों की प्रतिभाओं को पहचानना है. राज्य के कोने-कोने से आने वाली युवा प्रतिभाओं के लिए अपनी आंखें खुली रखनी हैं.
क्रिकेटर के रूप में इच्छा
उन्होंने कहा- “मैं एक कोच नहीं हूं, मैं एक गाइड हूं, जो यहां खिलाड़ियों की मदद करने के लिए है. राष्ट्रीय टीम में बंगाल के और खिलाड़ियों को देखना मेरी एक क्रिकेटर के रूप में इच्छा है.” यह पूछे जाने पर कि क्या सफलता के लिए कोई प्रक्रिया है, उन्होंने कहा- “यहां तक कि जब मैं खेलता था तब भी मुझे इस प्रक्रिया पर ज्यादा विश्वास नहीं होता था. मैंने सौरव गांगुली को खेलते देखा है और ऐसा कभी नहीं लगा कि उनके पास किसी तरह की निश्चित प्रक्रिया है.”