शशांक तिवारी की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब क़ानून-व्यवस्था को लेकर आलोचना झेल रहे हैं, ऐसे में मंगलवार को सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान होने जा रहे हैं.
राज्यसभा चुनाव को लेकर जहां मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में दुश्मनी बढ़ गई है तो कांग्रेस भी प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विपक्ष की जगह लेने के लिए बेताब दिख रही है.
प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव अखिलेश, मायावती और कांग्रेस के लिए ख़ुद को साबित करने की चुनौती है कि योगी सरकार को टक्कर देने में कौन सक्षम है.
2017 के विधानसभा चुनाव में इन सात सीटों में से छह पर बीजेपी को जीत मिली थी. कहा जा रहा है कि इस बार चुनाव बहुध्रुवीय है और योगी सरकार से कई तीखे सवाल पूछ जा रहे हैं.
सात सीटों पर उपचुनाव के नतीजे से यह संदेश जाएगा कि योगी के प्रति प्रदेश में लोगों का रुख़ तीन साल बाद कैसा है. इन सातों सीटों पर योगी आदित्यनाथ ने प्रचार की कमान ख़ुद संभाल रखी है. वहीं कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और मायावती इस उपचुनाव को लेकर उस तरह से मुखर नहीं दिख रहीं. तीनों पार्टियों का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी की तरह उपचुनाव में सक्रिय नहीं है.
योगी आदित्यनाथ अपनी रैलियों में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने और राम मंदिर निर्माण को उपलब्धि के तौर पर पेश कर रहे हैं. हाल की रैली में योगी ने प्रदेश में कथित ‘लव जिहाद’ को लेकर भी नया क़ानून बनाने की बात कही है.
इसके साथ ही गो-हत्या पर भी कड़ी कार्रवाई करने की घोषणा की है. कानपुर में ‘वान्टेड’ विकास दुबे और उनके सहयोगियों के पुलिस की गोली से मारे जाने के बाद बीजेपी के भीतर से ही ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप लगने लगे थे. इसके अलावा जेल में बंद विधायक मुख़्तार अंसारी और सांसद अतिक़ अहमद के कई ठिकानों पर पुलिस ने बुलडोज़र चलाए हैं.
योगी आदित्यनाथ ने जौनपुर में एक रैली में कहा कि उनकी सहानुभूति अपराधी, गुंडा और माफ़िया को लेकर कभी नहीं हो सकती. योगी ने कहा कि सरकार के इन क़दमों से लोग ख़ुश हैं लेकिन समाजवादी पार्टी परेशान है.
कांग्रेस, बीजेपी, समाजवादी पार्टी और बीएसपी चारों ब्राह्मणों को लुभाने में लगी हैं. देवरिया सीट पर चारों पार्टियों ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं. देवरिया सीट बीजेपी विधायक जनमेजय सिंह की मौत के कारण ख़ाली हुई है. जनमेजय सिंह के बेटे अजय प्रताप सिंह निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में हैं. अजय प्रताप सिंह का कहना है कि वो अपने पिता के सम्मान के लिए लड़ रहे हैं.