लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी रण में INDIA और NDA एक दूसरे से दो-दो हाथ करने के लिए पूरी तरह से आमने सामने हैं। बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती के गठबंधन को लेकर मात्र सात दिनों के बाद ही बयान बदलने लगे हैं। इसे पूर्व 19 जुलाई को बैठक के दौरान बसपा प्रमुख ने कहा था कि वह दोनों गठबंधनों से ही अलग हैं। अब लखनऊ में हाल में हुई बैठक में मायावती ने कहा कि कई राज्यों में बैलेंस ऑफ पावर बनने के बावजूद जातिवादी तत्व द्वारा साम, दाम, दंड, भेद आदि अनेकों घिनौने हथकंडे अपना कर बीएसपी के विधायकों को तोड़ दिया जाता हैं। जिससे जनता के साथ विश्वासघात करके घोर स्वार्थी जनविरोधी तत्व सत्ता पर काबिज भी हो जाते हैं। आगे विधानसभा आमचुनाव के बाद बैलेंस ऑफ पावर बनने पर लोगों की चाहत के हिसाब से, सरकार में शामिल होने पर विचार भी संभव है। मायावती ने राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए बोला है कि इन राज्यों में धार्मिक अल्पसंख्यकों व मुस्लिम समाज का भला तभी हो सकता है जब मजबूत व अहंकारी सरकार नहीं बल्कि गठबंधन की मजबूर सरकार होगी। और इस समाज के लोगों पर अत्याचार की खबरें लगातार आती ही रही हैं। यह दुखद है। इसका समाधान तभी हो पाएगा जब सरकार में उनके हितैषी प्रतिनिधि होंगे। वहीं मायावती ने सरकार से बाढ़ पीड़ितों की भी मदद करने की अपील करी है। यह भी कहा, पार्टी के लोगों को जो भी संभव हो मदद करनी चाहिए। 19 जुलाई को जारी किये गए बयान में मायावती ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी अपने जैसी जातिवादी और पूंजीवादी सोच रखने वाली पार्टी के साथ गठबंधन कर फिर से सत्ता में आने की सोच रही है साथ ही NDA फिर से सत्ता में आने का दावा भी ठोक रही है लेकिन इनकी कार्यशैली यही बताती है कि इनकी नीति और सोच लगभग एक जैसी ही रही है और यही कारण है कि BSP ने इनसे दूर है।