शेखर की रिपोर्ट
देश में कोयले की कमी से उत्पादन में आई कमी के कारण झारखंड में बिजली संकट जारी रहा शहर से लेकर गांव तक बिजली की कमी से लोग परेशान हैं जबकि ग्रामीण इलाकों में औसत 10 से 12 घंटे की आपूर्ति ही हो पा रही है। पिछले हफ्ते राज्य के शहरी क्षेत्रों में 15 से 20 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 10से 12 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही थी। त्योहारी सीजन में बिजली संकट से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। झारखंड बिजली वितरण निगम 400-450 मेगावाट तक की कमी को दूर करने के लिए इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से 20 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने का प्रयास कर रहा है, लेकिन हर राज्य से मांग के कारण झारखंड को कम बिजली मिल रही है।बिजली की मांग करीब 1700 मेगावाट रही जबकि आपूर्ति लगभग 1350 मेगावाट हो पाई। राहत यह रही कि तकनीकी खराबी के कारण बंद इनलैंड पावर में उत्पादन शुरू होने के कारण राज्य को 50 मेगावाट बिजली मिलने लगी है। बोकारो के चास व चंदनकियारी सहित ग्रामीण इलाकों में 8 घंटा भी बिजली नहीं मिल रही है। to wahi जामताड़ा में 50 से 55 मेगावाट कह जगह 25 मेगावाट बिजली मिल रही है। देवघर में जरूरत 90 मेगावाट बिजली की है, जबकि मात्र 50 मेगावाट मिल रही है। साहिबगंज में 70 मेगावाट की जगह 40 मेगावाट बिजली मिल रही है। झारखंड में बिजली की मांग को पूरा करने के लिये राष्ट्रीय ग्रिड से बिजली प्रतिदिन खरीदनी पड़ती है। पतरातू सुपर क्रिटिकल मेगा पावर परियोजना से उत्पादन अगले वर्ष शुरू होने का अनुमान है। इसके बाद झारखंड अपनी मांग के बराबर बिजली अपने स्तर पर पूरा कर सकेगा। डीवीसी कमांड एरिया को शामिल कर लेने पर बिजली की मांग 2200 मेगावाट रहती है। झारखंड में लगभग 500 मेगावाट बिजली पैदा होती है।