परवेज अंसारी की रिपोर्ट
ठाकुर को धारा 120बी, 324, 323, पॉक्सो कानून की धारा 21 और किशोर न्याय कानून की धारा 75 (बच्चों के साथ क्रूरता) के तहत भी दोषी ठहराया है।
नयी दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक आश्रयगृह में कई लड़कियों के यौन शोषण और शारीरिक उत्पीड़न के मामले में ब्रजेश ठाकुर को अंतिम सांस तक कारावास में रखने की सजा सुनाई। अतिरिक्त सत्र जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मामले में 11 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई।
अदालत ने ठाकुर को 20 जनवरी को दोषी ठहराया था। अदालत ने अपने 1,546 पृष्ठों के फैसले में ठाकुर को धारा 120बी, 324, 323, पॉक्सो कानून की धारा 21 और किशोर न्याय कानून की धारा 75 (बच्चों के साथ क्रूरता) के तहत भी दोषी ठहराया है। सरकारी वकील अमित जिंदल ने अदालत से कहा था कि 5 दोषियों-ठाकुर, दिलीप कुमार वर्मा, रवि रोशन, विकास कुमार और विजय कुमार तिवारी को उनके शेष जीवन तक कारावास की सजा दी जानी चाहिए।
मुजफ्फरपुर के बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के पूर्व प्रमुख वर्मा, सीडब्ल्यूसी के सदस्य कुमार और अन्य आरोपी गुड्डू पटेल, किशन कुमार और रामानुज ठाकुर को पॉक्सो कानून के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न, और भादंसं एवं पॉक्सो कानून के तहत दोषी ठहराया गया था। 2 आरोपियों – राम शंकर सिंह और अश्विनी को आपराधिक षड्यंत्र और बलात्कार के लिए उकसाने के अपराधों का दोषी पाया गया। महिला आरोपियों – शाइस्ता प्रवीन, इंदु कुमारी, मीनू देवी, मंजू देवी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, किरण कुमारी को आपराधिक षड्यंत्र, बलात्कार के लिए उकसाने, बच्चों के साथ क्रूरता का दोषी पाया गया था। कुछ दोषियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा था कि वे फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।