राजीव कुमार झा की रिपोर्ट
लखीसराय बिहार। सन् 1994 में लखीसराय बिहार में मुँगेर से अलग होकर जिला के रूप में अस्तित्व में आया . यह बिहार का पिछड़ा जिला है और यहाँ उद्योग धंधों की काफी कमी है . सूर्यगढ़ा , बड़हिया और हलसी लखीसराय के पड़ोसी उपनगर हैं और यहाँ अच्छी खेतीबाड़ी होती है . बड़हिया का टाल कृषि क्षेत्र सारे देश में मसूर , चना और मटर की खेती के लिए प्रसिद्ध है . लखीसराय में भूमिहीन किसानों की तादाद काफी है और इस जिले के पहाड़ी क्षेत्र कजरा और अभयपुर के इलाकों में नक्सलवाद की समस्या विद्यमान है . लखीसराय शहर किऊल नदी के किनारे बसा है और इस नदी के दूसरे तट पर किऊल स्टेशन स्थित है . यह पटना – जसीडीह – हावड़ा रेलमार्ग का प्रमुख स्टेशन है .रेल मंत्रालय के द्वारा लखीसराय स्टेशन के जीर्णोद्धार और विकास का काम किया जा रहा है . लखीसराय से पटना के अलावा एक रेलवे लाइन गया की ओर भी जाती है . शेखपुरा और नवादा लखीसराय के पड़ोसी नगर हैं . लखीसराय में स्नातक स्तर की शिक्षा प्रदान करने वाले कई कालेज हैं और इनमें के . एस . एस . कालेज प्रसिद्ध है . यहाँ का बालिका विद्यापीठ एक सुंदर विद्यालय है और कुछ साल पहले स्थापित स्काई विजन पब्लिक स्कूल भी आधुनिक स्कूली शिक्षा के प्रमुख केन्द्र हैं . मनकठा में उत्खनित प्राचीन शिव मंदिर के अवशेष और लाली पहाड़ी पर बौद्ध विहार के उत्खनन से इस नगर के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है .
लखीसराय शहर के विद्यापीठ चौक से राष्ट्रीय राजमार्ग से मुँगेर और भागलपुर मोटरगाड़ी से आसानी से पहुँचा जा सकता है . लखीसराय का बाजार पुराना है और अब यहाँ विभिन्न कंपनियों के माल भी खुल गये हैं . यह आसपास के ग्रामीण इलाके की बड़ी मंडी के रूप में देखा जाता है .
लखीसराय विधानसभा सीट से इस बार भाजपा उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा ने कांग्रेस उम्मीदवार अमरेश कुमार अनीस को पराजित किया . विजय कुमार सिन्हा वर्तमान में बिहार विधान सभा के अध्यक्ष हैं .
वर्तमान में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंत्री गिरिराज सिंह लखीसराय जिले के बड़हिया के निवासी हैं . लखीसराय में कुछ साल पहले स्थापित आम्रपाली इंजीनियरिंग कालेज भी स्थापना के एक – दो सालों के बाद ही विवाद की वजह से बंद हो गया . यहाँ के सदर अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं की काफी कमी है और इलाज के नाम पर औपचारिकता को पूरा किया जाता है . यहाँ लंबे समय से पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा केंद्र की स्थापना की माँग की जा रही है . यहाँ शहर से काफी दूर बन्नू बगीचा के पास श्रृंगि ऋषि नामक एक पौराणिक स्थल भी स्थित है . यहाँ एक छोटे से पहाड़ की ढलान से एक झरना गिरता दिखायी देता है . यहाँ भादो महीने में मेला लगता है .