प्रशांत झा की रिपोर्ट
पटना. भारतीय राजनीति में मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान आज दुनिया से विदा ले गए. दिल्ली अस्पताल में राम विलास पासवान ने अंतिम सांस ली. बेटे और लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी. राजनीति में रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक का खिताब यूं ही नहीं दिया था, उनकी खासियत थी कि देश में सरकारें बदल जातीं लेकिन उनकी गद्दी हमेशा सलामत रहती. इसी खासियत की वजह से उनका हर राजनीतिक दल ने सम्मान किया. राम विलास पासवान वीपी से लेकर नरेंद्र मोदी तक 6 अलग-अलग पीएम की कैबिनेट में मंत्री पद पर रहे.
दरअसल राम विलास पासवान का राजनीति का पांच दशकीय सफर बेहद दिलचस्प रहा. रामविलास पासवान 8 बार पांच दशकों में लोकसभा के सदस्य रहे. वे उस समय राजनीति में आकर बिहार विधानसभा पहुंच गए थे जब लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार अपने छात्र जीवन में संघर्ष कर रहे थे.
बिहार के खगड़िया के दलित परिवार में जन्में रामविलास पासवान राजनीति में एंट्री से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे. रामविलास का राजनीतिक सफर साल 1969 से शुरू हुआ और वे चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहंचे. साल 1977 में उन्होंने जनता दल के टिकट पर हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
रामविलास पासवान सबसे पहले वीपी सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. जिसके बाद वे भाजपा, कांग्रेस, राजद और जदयू के साथ कई गठबंधनों में रहे और केंद्र सरकार में मंत्री पद पर बने रहे. साल 2002 में गोधरा कांड को लेकर उन्होंने अटल बिहारी सरकार से मंत्री पद को छोड़कर एनडीए से गठबंधन तोड़ा और यूपीए में आ गए.
मनमोहन सरकार में वे दो बार कैबिनेट मंत्री रहे. फिर साल 2014 में उन्होंने यूपीए छोड़कर एनडीए का हाथ थाम लिया. साल 2014 में नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में उन्हें जगह मिली जिसके बाद साल 2019 में भी उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.