अनिल अनूप
सिखों के पवित्र तीर्थ गुरुद्वारा ननकाना साहब पर हुए हमले की घटना से सिख समाज का आहत होना स्वाभाविक है। एक सिख युवती का अपहरण करके धर्म परिवर्तन कराने और सिख समाज द्वारा इसके विरोध पर हुई कार्रवाई के खिलाफ यह बवाल हुआ। गत शुक्रवार को चार घंटे तक गुरुद्वारे का घेराव और पथराव किया गया, जिस पर भारत समेत पूरी दुनिया के सिखों की प्रतिक्रिया होनी लाजिमी थी। दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग पर सिख संगठनों व राजनीतिक दलों का विरोध एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया कही जा सकती है। दुरभिसंधि पूर्ण मंसूबों को पूरा करने के लिये पाक करतारपुर गलियारे के नाम पर जो प्रपंच कर रहा था, उसकी हकीकत पूरे सिख समाज ने इस घटना के बाद महसूस की है। दरअसल, सेना व पाक सत्ताधीशों द्वारा सिख समाज को भारत के खिलाफ बरगलाने की जो कोशिशें की जा रही थीं, उसकी हककत सामने आई है। पाक सरकार सद्भावना के लाख दावे कर ले मगर आम पाकिस्तानी अवाम दुराग्रह की ग्रंथि से मुक्त नहीं है। भारत सरकार ने ननकाना साहब की घटना पर कड़ा एतराज जताया है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। हालांकि, पाक की तरफ से इसे मामूली घटना बताया जा रहा है। ननकाना साहब के लिये सिखों के अहसास बेहद गहरे हैं क्योंकि यहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। फिर यह समय गुरु गोविंद सिंह की जयंती समारोह की शृंखला का था, जिसमें शामिल होने देश-विदेश के सिख श्रद्धालु आते हैं।
बहरहाल, पूरी दुनिया के सिखों में यह स्पष्ट संदेश गया है कि पाकिस्तानी हुकमरान भले ही सिखों की धार्मिक आस्था के नाम पर कितने ही प्रपंच रच लें, हकीकत में वहां का माहौल ऐसा नहीं है कि अल्पसंख्यक सिख सम्मान से जी सकें। उन्मादी भीड़ का सामना उन्हें जब-तब करना ही पड़ता है। उनकी बेटियों को अगवा करके जब-तब धर्म परिवर्तन कराकर उनकी शादियां जबरन करा दी जाती हैं। पाक का नेतृत्व भले ही सतही तौर पर समरसता की डींगें हांकता रहे मगर अल्पसंख्यक विरोध व दमन की मानसिकता से आम पाकिस्तानी मुक्त नहीं हो पाता। यही वजह है कि पाक में अल्पसंख्यकों की संख्या में लगातार गिरावट का क्रम जारी है। उन्हें या तो दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में जीना पड़ता है या फिर धर्म परिवर्तन करने के लिये बाध्य होना पड़ता है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पाक के अल्पसंख्यकों की बदहाली पर जारी रिपोर्ट दूसरे धर्मों के लोगों की बदहाली की तस्वीर ही उकेरती है। नि:संदेह विश्व जनमत पाक की हकीकत से वाकिफ हो चुका है। पाक के घड़ियाली आंसू अल्पसंख्यकों के दुख-दर्द कम करने में विफल रहे हैं। पाक सरकार ठोस कार्रवाई करने के बजाय महज लीपापोती करने में ही जुटी है। ननकाना साहब गुरुद्वारे के बाहर जिस तरह पथराव हुआ और उत्तेजक नारेबाजी हुई, उसके बाद कोई ठोस कार्रवाई न होना पाक हुक्मरानों पर अल्पसंख्यक विरोधी ग्रंथि का दबाव होना ही दर्शाता है। पाक सरकार को अल्पसंख्यकों व उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का वायदा विश्व बिरादरी से करना चाहिए।