परवेज अंसारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली : सरकार की कथित राष्ट्र विरोधी और जन विरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ वाम समर्थक केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने बुधवार को साल के पहले ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है जिसमें 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। सैंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) का कहना है कि सरकारी कंपनियों और बैंकों का निजीकरण रोकने, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने तथा उदारीकरण तथा सुधार संबंधी आर्थिक नीतियों पर सरकार के साथ बातचीत विफल होने पर 8 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल ‘भारत बंद’ का आयोजन किया है। इन संगठनों में इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्द मजदूर सभा, सैंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सैंटर, ट्रेड यूनियन कोर्डीनेशन सैंटर, सैल्फ एम्प्लॉयड वूमैंस एसोसिएशन, ऑल इंडिया सैंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रैसिव फैडरेशन और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े श्रमिक संघ हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने ‘भारत बंद’ का समर्थन नहीं किया है।
श्रमिक संघों का कहना है कि ‘भारत बंद’ के दौरान देश के प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र में धरने-प्रदर्शन किए जाएंगे और जन सभाएं आयोजित होंगी। हालांकि चिकित्सा, खाद्य पदार्थो, अग्निसेवा तथा जलापूर्ति जैसी जरूरी सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है। इसके अलावा श्रमिक संघों का कहना है कि बुधवार को स्कूल, कालेज तथा अन्य शैक्षिक संस्थान बंद रहेंगे। सार्वजनिक बैंकों में भी कामकाज नहीं होने की बात श्रमिक संघों ने कही श्रमिक नेताओं का कहना है कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार के साथ बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका इसलिए मजदूरों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह तक हुई बैठकों में कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ सका। बातचीत के दौरान श्रमिक संघों ने सरकारी कंपनियों के विलय, विनिवेश और निजीकरण के मुद्दे उठाएं लेकिन सरकार कोई ठोस आश्वासन नहीं दे सकी। इंडियन बैंक एसोसिएशन ने कहा कि भारत बंद के दौरान 6 बैंक यूनियन हड़ताल में शामिल होंगी। हालांकि ए.टी.एम. सेवा और शाखाओं के कामकाज को हड़ताल से छूट दी गई है। इसके अलावा ऑनलाइन भुगतान व्यवस्था भी हड़ताल से अप्रभावित रहेगी।