• प्रमोद दीक्षित मलय
हम एक नया संसार बनायें।
न ढलें अश्रु नयनों से, स्वप्न पलें।
सुख-दुख में शामिल, बन दीप जलें।
मानव-मन के सब कष्ट मिटाकर,
जीवन में हर पल हंसें-हंसायें।
हम एक नया संसार बनायें।।
हर मानव को भोजन वस्त्र मिले।
काम हाथ को, मुख- मुस्कान खिले।
भेदभाव से ऊपर उठकर हम,
वंचित- शोषित को गले लगायें।
हम एक नया संसार बनायें।।
जियें प्रकृति सह शुभ धरा बचायें।
गिरि, कानन, मरु, सागर, सरितायें।
वसुधा ही है परिवार हमारा,
ध्वज मानवता का हम फहरायें।
हम एक नया संसार बनायें।
••