कहानी
-अक्षय कुलश्रेष्ठ
(लेखक अक्षय कुलश्रेष्ठ एक सुलझे हुए विचार के स्पष्ट विचार के व्यक्ति हैं। विविध विषयों पर लिखने की आदत है और सामाजिक चेतना का पुट इनकी रचनाओं में आपको सहज ही देखने को मिल सकता है। हमारे पोर्टल के प्रति इनकी सुधारात्मक राय हमें सदा इनके करीब होने का एहसास कराती रहती है।
प्रस्तुत है वर्तमान परिदृश्य पर आधारित इनकी ये कहानी। -संपादक )
जब से प्रधानमंत्री ने कहा है कि आप अपने घर में ही रहें. कोरोना महामारी होने वाली है. बड़े बड़े शहर इस की चपेट में आ गए हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए एक गांव में ऐलान होता है कि जब देश का प्रधानमंत्री ऐसा कह रहा है कि आपदा आने वाली है. इसी को ध्यान में रखते हुए सभी अपने घर में रहें. अपने घर में से बाहर न निकले.
इधर बड़े शहर बन्द हो गए और गरीब को भी अपने गांव की याद आई. साधन न होने पर पैदल ही चल पड़ा. उसे पता नहीं कि कब पहुचेगा, भूखा प्यासा….
आंखों में उम्मीद, चेहरे पर पपडी. गठरी साथ में है. बीवी बच्चों के साथ. पैर दुख रहे हैं, बच्चे रो रहे हैं. जो उन के साथ हैं, वे इस महामारी को कोस रहे हैं
पर बड़े शहर से नजदीक अपने गांव आया एक शख्स रामलाल को यह भरोसा था कि कुछ नहीं होगा. सोचा, जब होगा तब देखेंगे.
गांव के सरपंच और मुखिया ने उसे यह समझाया कि तुम शहर से यहां गांव आ तो गए हो, पर घर मे ही रहना…
इधर कोरोना महामारी तेजी से फैल रही थी. यह बीमारी शहर से होते हुए गांव की ओर पहुंच चुकी है. पट पलायन कर चुके लोग भी अब आशंकित हैं, डरे हुए हैं, पर अब तो गांव ही जाना उन का मकसद है. शहरों में जब काम ही नहीं, खर्चे बहुत हैं, कहां से खर्च चलाएंगे. यही सोचकर गांव जा रहे हैं. गांव में जा कर खेती करेंगे. पर अब शहर नहीं आएंगे.
इधर गांव पहुंचा रामलाल बोर हो रहा था. अपने संगी साथियों से मिलने और रामलाल गांव का जायजा लेने कि अभी कौन कौन घर से बाहर है.
घर से बाहर कदम रखते ही उसे गांव की सड़क सूनी लगी. सभी अपने घरों में बंद थे. रामलाल ही था जो अकेले घूम रहा था.
इस घूमने के कारण रामलाल गांव में बीमार पड़ गया. क्योंकि वह भी इस महामारी की चपेट में आ गया था.
चूंकि गांव में घर से बाहर निकलने पर रोक थी. इसलिए वह किसी को पुकार भी न सका. लोग भी उस से कटे कटे से रहने लगे. और एक दिन रामलाल घर पर ही पड़ेपड़े मर गया.
जब रामलाल इस बीमारी से मर कर ऊपर पहुंचा तो उस ने गुस्से से ऊपर वाले से कहा, मैं तो आप के भरोसे था. आप पर मुझे भी पूरा भरोसा था तो आप ने मुझे क्यों नहीं बचाया..
ऊपर वाला भी मुस्करा कर बोला…
आया तो था तुझे बचाने …
कभी सरपंच के रूप में तो कभी मुखिया के रूप में… यहां तक कि प्रधानमंत्री के रूप में…
पर तुम मानने को तैयार ना थे…
तो मित्रो..!
आप सभी को सलाह है कि इस कोरोना विपदा से निकलने के लिए, यह भी एक प्रकार से ऊपर वाले के ही रूप है.
इन की सलाह मानें. साफसफाई का ध्यान रखें. बीमार होते ही अपने को अलगथलग करें और तुरंत डाक्टर की सलाह ले कर उचित दवाई लें.!
यह सब हमारी भलाई के लिए है….
जान है तो जहान है…. रखें अपना ख्याल.