• सतीश चन्द्र ‘सौमित्र’
वंदित भारत, जय जय भारत।
जन गण मंगल शाश्वत भारत।
सम्प्रभु ध्वज लहराए, उर राष्ट्र-भाव उपजाए।
चिर स्वतंत्र नीलांचल में, गौरव-बोध कराए।
एकात्म चलें सब पथ पर, क्षण-क्षण है बतलाए।
त्याग, तपस्या, समृद्धि का शुभ संदेश सुनाए।
भय, भूख, विषमता, भ्रष्टाचार चतुर्दिक मिट जाए।
नारी के प्रति समता जागे, अवरोध सभी मिट जाए।
जन-जन में जागृति आये और परस्पर प्रेम बढ़े,
मानव को अधिकार मिले, शोषण के ढंग मिट जायें।
त्रिवर्ण ध्वज है कहता हर उर स्वातंत्र्य भाव भर जायें।
घर-आंगन खुशियाली हो, धन-धान्य भंडार भर जाये।
नित नित विकसित हो भारत,
अधुनातन से अनंत आगत।
वंदित भारत,जय जय भारत।।
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