• श्लेष चंद्राकर
बनके इक शैतान यारां खो नहीं पहचान को
तू अगर इंसान है तो मार मत इंसान को ।१।
यूँ मुसीबत की घड़ी में हौसला मत हारना
रास्ता कुछ तो खुलेगा याद कर भगवान को ।२।
नेक बनकर ज़िन्दगी गर तुम बिताना चाहते
जो छुपा अंदर तुम्हारे मार उस शैतान को ।३।
बात उनसे तू किया कर लौटकर दफ़्तर से घर
बूढ़े माता और पिता के तोड़ मत अरमान को ।४।
बात ये ऐ श्लेष अब दुनिया में बेहद आम है
बेचते हैं लोग लालच में यहाँ ईमान को ।५।
श्लेष चन्द्राकर,
पता:- खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं.- 27,
महासमुन्द (छत्तीसगढ़) पिन – 493445,
मो.नं. 9926744445