देवेश कटियार
“ममता-समता की भूमि है
जिस पर जन्मे थे नीति महान,
जिस पर जन्मे थे धीर-वीर
जिस पर जन्मे थे महाप्राण।
जिसने दी विश्व को सभ्यता नई
जिसने किया जगत का उद्धार,
जिसने ही दी प्रेरणा सभी को
जिससे अलंकृत संपूर्ण संसार।
जो नव आशाओं का भंडार है
जो है सत्य का सद विचार,
जो है जीवन का पुण्यप्रेम
जो इस जीवन का नव उद्गार।
है प्रणाम उस वसुंधरा को
जिस पर हम जीवित रहते हैं,
हैं प्रणाम उस मनुजधरा को
जो सहती खुद पर कुटिल भार।
मेरी नमत भाव से विनती है,
कर दो भारत माँ की जय-जयकार।”