सियासत जम्मू-कश्मीर की
केवल कृष्ण पनगोत्रा
आखिर इन्तजार और आशंका की वो घड़ी आ ही गई। यानि केंद्र सरकार ने एक अप्रैल के दिन जम्मू-कश्मीर के लिए डोमिसाइल नीति जारी कर दी। नए कानून के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 15 साल तक रहने वाला कोई भी व्यक्ति अब यहां का निवासी माना जाएगा।
नए डोमिसाइल कानून के प्रमुख बिन्दु
कश्मीर में सात साल तक पढ़ाई करने वाला और 10वीं-12वीं की परीक्षा यहां के स्थानीय संस्थान से देने वाला व्यक्ति भी कश्मीर का निवासी माना जाएगा।
जिन केंद्र सरकार के अधिकारियों ने घाटी में दस वर्षों की कुल अवधि के लिए यहां अपनी सेवाएं दी हैं उनके बच्चों को भी यहां का स्थायी निवासी माना जाएगा।
नए कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति ग्रुप-4 तक (25,500 रुपये से अधिक के वेतनमान) वाले पद पर नियुक्ति के लिए तब तक पात्र नहीं होगा जब तक कि वह जम्मू-कश्मीर का निवासी न हो। ग्रुप-4 पुलिस में कांस्टेबल के पद के बराबर है। यानी नए संशाेधन में ग्रुप-4 तक सरकारी नाैकरियाें काे यहां निवासियाें के लिए ही आरक्षित किया गया है।5. नए नियम में उन सभी प्रवासियों को भी शामिल किया गया है जो इस पूर्ववर्ती राज्य के राहत व पुनर्वास आयुक्त (प्रवासी) द्वारा रजिस्टर किए जा चुके हैं।नए नियम प्रवासियों को ग्रुप-4 की नौकरियों के लिए आवेदन करने की अनुमति देते हैं। इससे उन कश्मीरी हिंदुओं को बड़े पैमाने पर लाभ होगा जो वहां से पलायन करने के लिए मजबूर थे, यह नियम मुस्लिमों और सिख प्रवासियों पर भी लागू होता है।
नए कानून के मुताबिक राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब सरकारी खर्चे पर आवास, टेलीफोन, बिजली, पेट्रोल, वाहन चालक और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी। राज्य के ये चार पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और गुलाम नबी आजाद हैं।
याद हो कि धारा 370 को खत्म किए जाने से पहले केवल पूर्ववर्ती राज्य के स्थायी निवासी माने जाने वाले लोग ही राज्य सरकार में नौकरी पा सकते थे।
इससे पहले अनुच्छेद 35A के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार यहां के स्थायी निवासी की परिभाषा तय करती थी। इसका मतलब था कि राज्य सरकार को ये अधिकार था कि वो यहां रह रहे नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दे अथवा नहीं दे। बता दें 1954 में घोषित अनुच्छेद 35ए को भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत बनाए गए राष्ट्रपति के आदेश द्वारा भारत के संविधान में शामिल किया गया था।
तेज हो गई है जम्मू-कश्मीर में सियासत
डोमिसाइल को लेकर जम्मू कश्मीर में सियासत तेज हो गई है। नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी, अपनी पार्टी, पैंथर्स पार्टी सहित अन्य कश्मीरी दलों ने इसका विरोध किया है। वहीं भाजपा ने डोमिसाइल को राज्य हित में बताया। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीटर पर लिखा कि मौजूदा समय में पूरा मुल्क कोरोना के खिलाफ लड़ रहा है। सभी संसाधन इसके खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे हैं। ऐसे समय में केंद्र ने जम्मू कश्मीर के लिए डोमिसाइल कानून बनाया है। यह कहीं भी हमारे संरक्षण के वादे को पूरा नहीं करता।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने ट्विटर पर लिखा कि नया डोमिसाइल कानून तो अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ शुरू हुए जनसांख्यिकी परिवर्तन योजना का हिस्सा है। ऐसे नाजुक मौके पर कानून को लागू करना केंद्र की कश्मीर के प्रति पक्षपातपूर्ण मानिसकता को दर्शाता है।
मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मोहम्मद युसुफ तारीगामी ने कहते हैं कि कानून जम्मू कश्मीर जनता के साथ भाजपा नेतृत्व का एक और धोखा है। इससे जम्मू कश्मीर के लोगों में जो डर व आशंकाएं हैं,वही मजबूत हुई है। पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह ने कहा कि डोमिसाइल स्थानीय युवाओं के अधिकारों के साथ धोखा है। डोमिसाइल में चतुर्थ श्रेणी के कुछ पद स्थानीय युवाओं के लिए होंगे और अन्य सभी पदों के लिए बाहरी राज्यों के युवा आवेदन कर सकेंगे।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान जीए मीर ने कहा कि डोमिसाइल के प्रावधान से जम्मू कश्मीर के स्थानीय युवाओं के अधिकारों की रक्षा नहीं होगी। भाजपा ने लोगों को गुमराह किया है। जम्मू कश्मीर में प्राइवेट क्षेत्र में नौकरियों के अवसर बहुत कम है। अब प्रावधानों के तहत जम्मू कश्मीर में नौकरियों का अधिकतर हिस्सा बाहरी राज्यों में चला जाएगा। उन्होंने सात उत्तर पूर्वी राज्यों की तर्ज पर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने की मांग की है।
प्रदेश भाजपा के प्रधान रविन्द्र रैना ने डोमिसाइल का स्वागत करते हुए कहा कि इसका फायदा स्थानीय युवाओं को रोजगार हासिल करने में होगा। सरकार ने स्थानीय युवाओं की नौकरियों की मांग को पूरा कर दिया है। डोमिसाइल कानून न होने के कारण नौकरियां नहीं निकल रही थी। जम्मू कश्मीर के युवाओं को इसका लाभ मिलेगा।
बुखारी भी हो गए नाराज
बुखारी जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। लोग जब जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रहे हैं, पूरे देश में लाकडाउन है और केद्र ने यह आदेश जारी कर दिया। इसमें जम्मू कश्मीर के लोगों और आकांक्षाओं का ध्यान नहीं रखा गया है। इस कानून ने जम्मू कश्मीर के उन लोगों को पूरी तरह निराश किया है जो 31 अक्टूबर 2019 के बाद यह मानकर चल रहे थे कि नौकरी, जमीन व अन्य मुद्दों पर उनके हितों को पहले की तरह संरक्षित रखा जाएगा। यह आदेश है संसद द्वारा बनाया कानून नहीं है। इसके खिलाफ अदालत में जाया जा सकता है।
बताते चलें कि पीडीपी के रुष्ट नेता अल्ताफ बुखारी ने दिल्ली में भाजपा नेताओं से बैठक और मशवरे के बाद जम्मू-कश्मीर में ‘जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी’ के नाम से एक पार्टी बनाई थी। इस पार्टी को नए केंद्र शासित प्रदेश में कांग्रेस, नैशनल कांफ्रैंस और पीडीपी का तोड़ समझा जा रहा था।