आत्माराम त्रिपाठी
पुनः हालात बहाली के कदम चुने जा रहे हैं, तो विश्वास लौटने की प्रतीक्षा में फिर से दामन बिछाया जा रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट से जूझ रहे देशवासियों का मनोबल बढ़ाते हुए उन्हें लंबी लड़ाई के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहने को कहा है। रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ देश की जनता पूरी दृढ़ता से लड़ रही है।
हर कोई अपने सामर्थ्य के हिसाब से इस लड़ाई को लड़ रहा है। यह जज्बा बना रहना चाहिए। आज भले ही कारोबार हो, कार्यालय हो, शिक्षा या चिकित्सा हो, हर क्षेत्र महामारी के बाद की दुनिया में बदलावों के अनुरूप ढल रहा है। उन्होंने कहा कि आज हम बचाव के लिए नई चीजें अपना रहे हैं, जैसे मास्क। शुरू-शुरू में यह अटपटा जरूर लगा, पर आज यह स्वाभाविक लगने लगा है क्योंकि हर कोई इसका इस्तेमाल कर रहा है। जल्दी ही यह सभ्य समाज का प्रतीक बन जाएगा।
इसी तरह थूकने पर प्रतिबंध रहा है, लेकिन लोगों ने उसे स्वीकार नहीं किया था। अब उसे स्वीकार किया जा रहा है। इसी तरह अब आपस में दो गज की दूरी बनाई जा रही है। इन सब का चलन अब जरूरी हो गया है।
दरअसल प्रधानमंत्री का जोर इस बात पर है कि कोरोना का संकट लंबा चलने वाला है। लिहाजा इससे लड़ने के लिए हमें जीवन शैली में आमूल बदलाव करना होगा। लॉकडाउन की एक सीमा है। आज न कल उसे हटाना ही होगा क्योंकि उसकी वजह से जीवनयापन पर ही संकट आ सकता है। इसलिए प्रधानमंत्री देशवासियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि लॉकडाउन हटने के बावजूद हमें कई बंदिशों के बीच रहना होगा और हम इन्हें पाबंदी मानने की बजाय जीवन पद्धति का हिस्सा मानें, इन्हें आत्मानुशासन का रूप दे दें।
गौरतलब है कि पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी संकेत दिया था कि कोराना वायरस का संकट अभी लंबा चलेगा। इसलिए कई अन्य देशों ने भी कई पाबंदियों के साथ धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं। भारत में भी लॉकडाउन के बीच अनेक क्षेत्रों को छूट दी गई है। अभी कुछ और क्षेत्रों को खोलने की जरूरत महसूस की जा रही है। यह तभी संभव है जब काफी सतर्कता बरती जाए क्योंकि संक्रमण के मामलों का बढ़ना जारी है। इसलिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों को सावधान करते हुए कहा कि हम कतई अति-आत्मविश्वास में न फंस जाएं, हम ऐसा विचार न पाल लें कि हमारे शहर में, हमारे गांव में, हमारी गली में, हमारे दफ्तर में अभी तक कोरोना नहीं पहुंचा है, इसलिए अब पहुंचने वाला नहीं है।
ऐसी गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए। दुनिया का अनुभव हमें बहुत कुछ कह रहा है। सच कहा जाए तो प्रधानमंत्री ने सकारात्मकता का संदेश दिया है। उन्होंने देशवासियों को पूरे हौसले, सावधानी और नए तौर-तरीकों के साथ कोविड-19 के खिलाफ जंग में उतरने के लिए कहा है। उम्मीद है लोग उनकी बात को समझेंगे और वे गलतियां नहीं दोहराएंगे जो इस लड़ाई को कमजोर करती हैं।