टिक्कू आपचे
बात उस दौर की जब हिंदी सिनेमा ने अपने पंख फैलाकर उड़ना शुरू कर दिया था। अच्छी कहानियां लिखी जा रही थीं और उनको पर्दे पर निभाने वाले कलाकार जी तोड़ मेहनत कर रहे थे। नरगिस उस ही दौर की कलाकार थीं। वो 28 साल की उम्र में ही एक बुजुर्ग महिला का किरदार निभाने के लिए राजी हो गई थीं। फिल्म थी मदर इंडिया। और इसमें जो नरगिस ने अपने हुनर का जौहर दिखाया तो पूरी दुनिया में इसका डंका बज गया। इस फिल्म को 1958 में ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट किया गया था। पर्दे पर नरगिस ने वैसे तो कई कलाकारों के साथ काम किया लेकिन उनकी जोड़ी को लोग राज कपूर के साथ बहुत पसंद करते थे। दोनों ने साथ में 16 फिल्में कीं और नौ साल तक ये जोड़ी हिट बनी रही। आज नरगिस के जन्मदिन पर आपको बताते हैं ये अनसुनी कहानी।
राज कपूर पहले से शादीशुदा थे और उनके बच्चे भी थे लेकिन बावजूद इसके वो नरगिस से कई बार शादी करने के लिए कह चुके थे। वक्त बीतता गया और फिर नौ साल बाद नरगिस को लगने लगा था कि अब राज उनकी तरफ ध्यान नहीं दे रहे। राज कपूर न तो अपनी शादी तोड़ सकते थे न ही अपने पिता से बगावत कर सकते थे। ऐसे में नरगिस ने अपने रिश्ते को तोड़ देना ही बेहतर समझा।
राज कपूर की फिल्मों को गौर से देखेंगे तो उनकी एक्ट्रेसेज में एक खास किस्म की समानता दिखेगी. नर्गिस, पद्मिनी, वैजयंतीमाला, जीनत अमान, पद्मिनी कोल्हापुरे, मंदाकिनी सबमें आपको वो समानता जरूर दिखेगी।
दो जून 1988 को बॉलीवुड ने द ग्रेट शोमैन राज कपूर को खोया था। जब कभी उनको याद किया जाता है कि उनकी शान-ओ-शौकत, उनकी स्टाइल और उनकी बेहद अलहदा फिल्मों की बात जरूर होती है। उनकी फिल्मों की एक खास बात उनकी हीरोइन भी होती थीं। राज कपूर के लिए कहा जाता था कि उन्होंने ही बॉलीवुड में एक्ट्रेसेज को प्रजेंटेंशन का ऐसा तरीका सिखाया जो लकीर लगातार आगे ही बढ़ती रही। आज भी बहुत सी एक्ट्रेस राज कपूर जिस तरह अपनी फिल्मों में एक्ट्रेसेज को दिखाते थे वैसा दिखना चाहती हैं।
इसे लकी चार्म कहें या उनकी निजी पसंद, लेकिन राज कपूर अपनी हर फिल्म में हीरोइन को सफेद साड़ी जरूर पहनाते थे। कहा जाता है कि एक बार उन्होंने पत्नी को सफेद साड़ी तोहफे में दी, ये साड़ी उन्हें इतनी पसंद आई कि इसके बाद उनकी सभी एक्ट्रेसेज ने सफेद साड़ी पहनी। हालांकि इसके पीछे कई राज कपूर की चालाकी भी मानते थे। दरअसल, ‘राम तेरी गंगा मैली’ फिल्म में मंदाकिनी को उन्होंने जो साड़ी पहनाई थी वो काफी विवादों में भी रही।
सफेद साड़ी और राजकपूर को लेकर एक और कहानी मशहूर है कि बचपन में राज कपूर सफेद साड़ी पहने हुई एक स्त्री पर मोहित हो गए थे। उसके बाद से सफेद साड़ी से उनका मोह इतना गहरा गया कि उनकी तमाम फिल्मों की अभिनेत्रियां (नर्गिस, पद्मिनी, वैजयंतीमाला, जीनत अमान, पद्मिनी कोल्हापुरे, मंदाकिनी) पर्दे पर भी सफेद साड़ी पहने नजर आईं। यहां तक कि घर में उनकी पत्नी कृष्णा हमेशा सफेद साड़ी ही पहना करती थीं।
बता दें कि अपनी इन्हीं अनोखे अंदाज के चलते राज कपूर पहले ऐसे भारतीय फिल्मकार थे जिनकी प्रसिद्धि रूस, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, चीन, तुर्की तक थी. तीन नेशनल अवॉर्ड्स. 11 फिल्मफेयर ट्रॉफी. पद्म भूषण और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड। राज कपूर की मशहूर फिल्मों में ‘मेरा नाम जोकर’, ‘श्री 420’, ‘आवारा’, ‘बेवफा’, ‘आशियाना’, ‘अंबर’, ‘अनहोनी’, ‘पापी’, ‘आह’, ‘धुन’, ‘बूट पॉलिश’ प्रमुख हैं।
शोमैन राज कपूर का दुनिया की नजरों से ओझल हो जाना भी सामान्य घटनाओं से अलहदा रहा. दो मई, 1988 को एक पुरस्कार समारोह में उन्हें भीषण दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद वह एक महीने तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूलते रहे. आखिरकार दो जून 1988 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
भारतीय सिनेमा के इतिहास में राज कपूर का योगदान उन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके बाद परिवार की चार पीढ़ियां लगातार सिनेमा जगत में सक्रिय रही हैं और मनोरंजन के क्षेत्र में योगदान दे रही हैं। कपूर परिवार एक ऐसा परिवार है, जिसमें दादा साहेब फालके पुरस्कार दो बार आया। सन् 1972 में राज के पिता पृथ्वीराज कपूर को भी यह सर्वोच्च पुरस्कार मिला था।
राज कपूर और नर्गिस 1940-1960 के दशक की बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत और पॉपुलर जोड़ियों में से एक है। ये दोनों स्टार्स सिर्फ़ रील लाइफ में नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी रोमांटिक कपल थे। वहीं उनकी ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री दर्शकों ने खूब पसंद की। नर्गिस ने राजकपूर के साथ कुल 16 फिल्में की, जिनमें से 6 फिल्में आर.के.बैनर की ही थी। इस फेहरिस्त में आग, बरसात, अंदाज़, आवारा, आह, श्री 420, जागते रहो और चोरी-चोरी जैसी यादगार फिल्में शामिल हैं।
लेखक टीजेएस जॉर्ज की किताब ‘द लाइफ एंड टाइम ऑफ नर्गिस’ के मुताबिक दोनों की पहली मुलाकात का ज़िक्र करते हुए नर्गिस ने अपनी दोस्त नीलम को बताया- नीली आंखों वाला एक मोटा-सा ‘पिंकी’ घर आया था। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान नर्गिस और राज एक दूसरे के बेहद करीब हो गए। नरगिस भी राज को पसंद करने लगीं थी। उन्होंने अपनी दोस्त नीलम से कहा था कि पिंकी अब मेरे साथ तरोताज़ा दिखने लगा है।
मधु जैन की किताब ‘द कपूर्स’ के मुताबिक – जब बरसात बन रही थी , नर्गिस पूरी तरह से राज कपूर के लिए समर्पित हो चुकी थीं। यहां तक कि जब स्टूडियो में पैसे की कमी हुई तो नर्गिस ने अपनी सोने की चूड़ियां बेचीं। उन्होंने दूसरे निर्माताओं की फिल्मों में काम करके आर.के फिल्म्स की खाली तिजोरी को भरने का काम किया। आर. के वाकई नर्गिस-राजकपूर का एक बैनर था। वह एक साझेदार थी।
राज कपूर को संगीत की बहुत अच्छी समझ थी| साथ ही साथ वे यह भी अच्छी तरह से जानते थे कि किस तरह के संगीत को लोग पसंद करते हैं यही कारण है कि आज तक उनके फिल्मों के गाने लोकप्रिय हैं। संगीतकार शंकर जयकिशन, जो कि लगातार 18 वर्षों तक नंबर 1 संगीतकार रह चुके हैं, को उन्होंने ही अपनी फिल्म बरसात में पहली बार संगीत निर्देशन का अवसर दिया था।
फिल्म बरसात से राज कपूर ने अपनी फल्मों के गीत संगीत के लिये एक प्रकार से एक टीम बना लिया था जिसमें उनके साथ गीतकार शैलेन्द्र तथा हसरत जयपुरी, गायक मुकेश और संगीतकार शंकर जयकिशन शामिल थे| ये सभी के एक दूसरे के अच्छे मित्र थे और लगभग 18 वर्षों के एक बहुत लंबे अरसे तक एक साथ मिल कर काम करते रहे।