आत्माराम त्रिपाठी
दुनियाभर में भले ही कोरोना से मरने वालों की संख्या लगभग 60 लाख के करीब हो गईं हो लेकिन लॉकडाउन खुलने के साथ ही कुछ लोगों के मन से कोविड-19 का खौफ भी कम होता जा रहा है और यह सामान्य लगने लगा है। जनवरी में ट्विटर पर कोविड-19 विषय का जो चढ़ाव शुरू हुआ, वह अब 75 प्रातिशत से गिरकर 25 प्रातिशत तक पहुंच गया है। इस दौरान कोविड-19 के अलावा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में वर्वर, पंडिंग, वंपनी, इकोनॉमी, माव्रेट, पूड व कोरोना वॉरियर्स ज्यादा रहे। अच्छी या बुरी बातों का समाज पर क्या असर पड़ रहा है, आजकल इसका सोशल मीडिया पर उन शब्दों के ट्रेडिंग से पता चलता है।
इस साल जनवरी में जब कोरोना वायरस का केस चीन में आया तो इस नईं बीमारी के बारे में लोगों के अंदर कोतूहल जगा और उसका असर सोशल मीडिया पर दिखने लगा। जैसे ही डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी का नाम कोविड-19 रखा तो ट्विटर पर यह शब्द ट्रेंड होने लगा। खादृा एवं वृषि संगठन (एफएओ) ने कोरोना काल में ट्विटर पर ट्रेंड हुए विषयों को लेकर रोचक आंकड़े तैयार किए हैं। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर नतीजा निकाले जा सकते हैं। किस तरह से दुनियाभर में लॉकडाउन खोलकर लोगों को कोरोना के साथ जीना सीखने की आदत डाली जा रही है। वैसे ही ट्विटर के ट्रेंड से लगता है कि लोग इसे स्वीकार कर चुके हैं। जनवरी में अन्य टॉपिक को लेकर जो चर्चा होती थी, उनका हिस्सा ट्विटर पर 100 प्रातिशत था। जनवरी के बाद से कोविड-19 फरवरी में 20 प्रातिशत चढ़ गया और बाकी शब्द 100 से कम होकर 80 पर आ गए। यह परिवर्तन बहुत तेजी से हुआ और 15 मार्च के आसपास व्हाट्सएप पर इस शब्द का उपयोग 75 प्रातिशत तक चला गया और बाकी शब्द गिरकर 25 प्रातिशत पर आ गए। यह दौर मार्च के आखिर तक चला और अप्रौल में व्हाट्सएप पर 60 प्रातिशत और बाकी शब्द 40 प्रातिशत पर पहुंच गए।