महंत जसबीर दास सिंह
हाल ही में भारत के केरल राज्य के मलप्पुरम में एक गर्भवती हथिनी को शरारती तत्त्वों ने अनानास में पटाखे भरकर खिला दिया था, जिससे उसका मुंह और जबड़ा बुरी तरह से जख्मी हो गया था। गंभीर रूप से जख्मी होने के बाद हथिनी वेलियार नदी पहुंची, जहां तीन दिन तक पानी में मुंह डाले खड़ी रही। घाव इतना गहरा था कि हथिनी को पानी में शरण लेनी पड़ी, लेकिन अंततः उसकी और गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। इस घटना के बाद संपूर्ण भारत के लोगों ने रोष व्यक्त किया तथा केरल सरकार द्वारा जांच प्रक्रिया शुरू की गई। अभी इस मामले की छानबीन चल ही रही थी, तभी दूसरी घटना हिमाचल प्रदेश के झंडूता (जिला बिलासपुर) से सामने आई जहां गाय के मुंह में विस्फोटक सामग्री रखी गई तथा उसके जबड़े को उड़ाने की कोशिश की गई। यह गाय भी गर्भवती थी। गाय का जबड़ा बुरी तरह से जख्मी हुआ। पशुपालन विभाग के डाक्टरों की मदद से गाय का उपचार किया गया। गाय ने इस भयंकर पीड़ा को सहन करते हुए एक बच्चे को जन्म दिया। प्रारंभिक जांच में पुलिस विभाग ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया तथा जांच प्रक्रिया जारी है। जिस प्रदेश को देवों की भूमि के नाम से जाना जाता है, उस प्रदेश में गौ माता के साथ इस तरह की घटना घटित होना अत्यंत चिंतनीय व शर्मनाक है। हिमाचल प्रदेश अपने अस्तित्व में आने से काफी ईमानदार, मेहनतकश तथा स्वच्छ व समृद्ध वातावरण की भूमि के रूप में विख्यात हुआ था, लेकिन पिछले एक दशक से हिमाचल प्रदेश में भी अनेकों ऐसी घटनाएं घटित हुईं जिन्होंने प्रदेश की माटी को शर्मसार किया। युग हत्याकांड, गुडि़या कांड, फारेस्ट कर्मचारी होशियार सिंह हत्याकांड इत्यादि घटनाओं ने प्रदेश को झकझोर दिया है। अब गौ माता के साथ घटना ऐसे जिला में घटित हुई जिसका संबंध सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ नैना देवी जी तथा सीमा पर दियोटसिद्ध जैसे पावन स्थलों से है। बिलासपुर अंग्रेजी हुकूमत के समय से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक एक अग्रणी रियासत के रूप में उभरा था। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत एक अलग पहचान को संजोए हुए हिमाचल प्रदेश का अभिन्न अंग बना था। ऐसे समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले जिला में गौ माता के साथ ऐसी क्रूरता का मामला सामने आना झकझोर देने वाला है। आखिर इस प्रदेश के जनमानस को ऐसा क्या हो गया जिसके पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन, स्वच्छ ऑक्सीजन तथा छोटे-मोटे रोजगार के अवसर भी सभी के पास उपलब्ध हैं। प्रदेश में पूर्ण बहुमत वाली सरकार है जो कि लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का निर्माण कर रही है। ऐसे समृद्ध व खुशहाल राज्य में यदि ऐसी क्रूरता की घटनाएं उजागर होती हैं तो इसके लिए प्रदेश सरकार तथा मानवता के प्रेमियों को मंथन करना होगा। आखिर इन घटनाओं के पीछे प्रोत्साहन देने में किन लोगों का हाथ है, इसे जगजाहिर करना समय की मांग बन चुका है। हिमाचल प्रदेश सरकार को एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन करके इस मामले की जांच करवानी चाहिए तथा कठोर निर्णय को अमल में लाना होगा ताकि भविष्य की पीढि़यों को भी मानवता के साथ-साथ बेजुबान पशुओं तथा पक्षियों की रक्षा का पाठ पढ़ाया जा सके। यह दोनों घटनाएं ऐसे समय में घटित हुईं जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है। सरकारें तथा प्रशासन दिन-रात एक करके मानवता को बचाने के लिए तत्पर हैं, वहीं दूसरी तरफ इसी समाज में एक ऐसी सोच का प्रतिनिधित्व करने वाला जनसमुदाय भी है जो कि मानवता का दुश्मन बन चुका है। उसकी शिक्षा-दीक्षा, कार्यशैली, सोच व प्रवृत्ति नकारात्मक शैली का प्रतिनिधित्व करती है।