आत्माराम त्रिपाठी
बुंदेलखंड में सतही जल के सूखने से धरती के कोख का पानी भी घट रहा है। अकेले चित्रकूटधाम मंडल के चार जनपद बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर और महोबा की बात करें तो यहां बीते सालों की तुलना में भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। भूजल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक पिछले विगत वर्षों में बांदा में 29.526 हेक्टेयर मीटर जल उपलब्ध था और दोहन 36.897 हेक्टेयर मीटर का किया गया। हमीरपुर में 16.731 हेक्टेयर मीटर की जगह 33 हेक्टेयर मीटर और चित्रकूट में 7,535 हेक्टेयर मीटर की जगह 16 हजार हेक्टेयर मीटर से अधिक भूजल का दोहन हुआ है। लिहाजा पिछले उन सालों में भूजल का स्तर लगभग 3.5 से 4.5 मीटर तक नीचे गिर गया है।
पिछले अध्ययन बताते हैं कि बुंदेलखंड को 18वीं और 19वीं सदी के बीच औसतन हर 16 साल में एक बार सूखे का सामना करना पड़ा था। 20वीं सदी में इसका सिलसिला और बढ़ गया। अब करीब हर पांच साल में सूखे जैसे हालात बनने लगे हैं। आंकड़ों के मुताबिक लगभग 65 हजार सरकारी हैंडपंप और 38 हजार निजी हैंडपंप पानी की खपत पूरी कर रहे हैं। इसके अलावा 2700 सरकारी नलकूप और तकरीबन 14 हजार निजी रिंगबोर भूजल के सहारे चल रहे हैं।
बांदा जनपद में हो रहे अबैध बालू खनन को लेकर कोई दिन ऐसा नहीं जाता जिस दिन कोई न कोई पत्रकार साथी अपनी खोज अपनी एकत्र की हुई जानकारी को अपनी लेखनी के माध्यम से जनता के सामने न रखता हो। और उन सब में यही भाव शामिल होता है कि इन अबैध कारोबारियों के ऊपर कार्रवाई हो। इसमें कुछ साथी शासन प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हैं तो कुछ सांसद विधायक को तो कुछ साथी इन सबको एक दूसरे का पूरक बताते हैं और इसे अबैध गठजोड़ गठबंधन का नाम भी देते हैं। कुछ शालीनता के साथ चोट करते हुए इसे उजागर करते हैं तो कुछ उत्तेजित हो कर। कुछ को पीछे रह जाने पर लिखने का शौक आता है तो कुछ में अपनी भी संलिप्तता के आरोपों से बचने के लिए लिखने को बिबस होना पड़ता है। पर इस स्पर्धा के अंधी दौड़ में भी इस अबैध खनन माफियाओं के काले कारोबार की परत दर परत सत्यता के साथ वह भी प्रमाण सहित खुलासा करते हैं।पर शासन-प्रशासन को और किस प्रमाण की आवश्यकता है जो उसे चाहिए इन पर कार्रवाई करने के लिए।क्या जान जोखिम में डालकर पत्रकारों द्वारा पेश किए गए फोटो वीडियो प्रर्याप्त नहीं है। अबतो इन माफियाओं द्वारा नदियों से बालू का परिवहन करने की लिए सड़कों का निर्माण कार्य भी किया जाने लगा है।
डंप…. वाह कितना प्यारा सुंदर नाम है एक दम अक्षय पात्र की तरह जो कभी रिक्त नहीं हो सकता और यंही से अबैध बालू खनन को मजबूती प्रदान होती है और यह मजबूती इन्हे प्रदान करता है शासन प्रशासन। यंहा एक अंतर है शंकर भगवान ने भस्मासुर को बरदान दिया तो उन्हें जान बचाने के लिए भागना पड़ा था और अब इन लोगों ने बरदान के स्वरूप परमीशन दिया तो यह भस्मासुर को बचाने के लिए अपने आशन को छोड़ बाहर भागते हैं भस्मासुर आराम से अपने आशन पर बैठे तमाशा देखता है क्योंकी उसने तप किया है घोर तप किया है और तप कर रहा भोर होते ही ईश्वर की नींद खुलने से पहले उसके चौखट पर लिफाफा पहुंचा दिया जाता है जिसमें उन्हें प्रशन्न करने की पूरी हवन सामग्री रहती है। और यह लिफाफा देखते ही आशिर्वाद देने में विबस हो जाते हैं।
पूरे बुंदेलखंड में खनन का कारोबार ज़ोरों पर है और इससे जुड़े लोगों के लिए यहां की लाल मिट्टी वाली सूखी धरती सोना उगल रही है।
नदियों का जलस्तर घट जाने का लाभ उठाते हुए खनन कारोबारी दिन रात रेत यानी बालू की खुदाई में लगे हैं।