क्या आपने कभी आईआरटीसी से टिकट बुक किया है। आईआरटीसी की वेबसाइट से टिकट बुक करना किसी नर्क से गुजरने जैसा अनुभव होता है। लगता है ये वेबसाइट या एप्प डिजाइन करनेवालों बाबुओं को जनता का लाइन से हटने का सुख बर्दाश्त नहीं हुआ। इसलिए उन्होंने वो सारे उपाय इस एप्प और वेबसाइट के डिजाइन में कर दिया है कि एक टिकट बुक करने का कष्ट टिकट खिड़की की लाइन में लगने से ज्यादा हो।
मैं देख रहा हूं दिनों दिन रेल मंत्रालय की ये पीड़ित करनेवाली मानसिकता बढती जा रही है। दो तीन साल पहले तक एप्प या वेबसाइट से टिकट बुक करना इतना नरकीय अनुभव नहीं देता था। लेकिन दिनों दिनों यह जटिल ये जटिल तर होता जा रहा है। खैर, सरकारी बाबू जब जनता को कोई सुविधा देता है तो इसी तरह के नरकीय अनुभव के दरवाजे पर खड़ा कर देता है। क्योंकि वह काम नहीं करता, वह तो एहसान करता है। भारत में जिस ब्रिटिश ब्यूरोक्रेसी का गठन जनता को लूटने के लिए हुआ उसमें सेवा भाव आयेगा भी तो कहां से?