योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आवाज,
शशांक तिवारी की रिपोर्ट
लखनऊ। भारत में कोरोनावायरस के दौरान भी अलग-अलग राज्यों में सियासी सरगर्मियां जारी हैं। जहां पहले इसी उठापटक में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरी थी, वहीं मौजूदा समय में अंदरूनी कलह की वजह से राजस्थान की गहलोत सरकार पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि, पार्टी में अंतर्विरोध की यह कहानी सिर्फ कांग्रेस तक ही सीमित नहीं है। कोरोनाकाल में भाजपा में भी अलग-अलग नेताओं के प्रति विरोध के स्वर उठ रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है। वहीं सबसे ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष का है, जिन्हें फिलहाल पार्टी के कुछ नेताओं की टिप्पणियों का सामना करना पड़ा है।
कोरोनावायरस संक्रमण की शुरुआत होने से पहले ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को राज्य के अपने विधायकों के साथ मतभेदों का सामना करना पड़ा था। पिछले साल दिसंबर में करीब 100 भाजपा विधायकों ने सीएम योगी से नाराजगी जताते हुए विधानसभा परिसर में ही प्रदर्शन किया था। इन विधायकों का आरोप था कि यूपी में प्रशासन को ही सब कुछ संभालने की जिम्मेदारी दे दी गई। विधायकों ने यह भी कहा था कि अधिकारी आमतौर पर उनकी सुनते नहीं और न ही उनके दिए सुझावों के आधार पर कोई काम करते हैं। इसे लेकर सीएम योगी के खिलाफ लोनी के विधायक नंद किशोर गुर्जर के नेतृत्व में कई विधायकों ने आवाज बुलंद की थी।
इसके बाद कोरोनाकाल के बीच में ही सीतापुर से भाजपा विधायक राकेश राठौड़ की फोन कॉल में हुई एक कथित बातचीत लीक हुई थी। इसमें राठौड़ यह कहते पाए गए थे कि प्रशासन उनकी बातों को नहीं सुनता और किसी व्यक्ति का काम तभी हो सकता है, जब वह पंडित या राजपूत हो। उनकी इस बातचीत के वायरल होने के बाद यह साफ था कि उत्तर प्रदेश भाजपा में पार्टी विधायकों में ही नेतृत्व के प्रति रोष है। इसके अलावा 27 अप्रैल को राज्य के विधायकों की सीएम से तल्खी तब और साफ हो गई, जब अलीगढ़ से भाजपा विधायक दलवीर सिंह ने सीएम की जगह सीधे गृह मंत्री राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखकर शहर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में गड़बड़ी की शिकायत की थी।
बंगाल BJP अध्यक्ष के साथ जुड़ा विवाद?
यूपी के अलावा हालिया समय में बंगाल में भाजपा में अंदरूनी टकराव की खबरें सामने आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्टी के कई नेता बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष से नाराज हैं। इनमें बैरकपुर से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि अर्जुन सिंह दिलीप घोष और संगठन महासचिव सुब्रत चटर्जी का खुला तौर पर विरोध कर रहे हैं। हाल ही में दिल्ली में भाजपा की एक हफ्ते तक चली बैठक में बंगाल की चुनावी स्थिति पर बातचीत हुई। इसमें अर्जुन सिंह ने राष्ट्रीय नेतृत्व को साफ तौर पर कह दिया कि दिलीप दा और सुब्रत दा को पार्टी में सब को साथ लेकर चलने पर भरोसा ही नहीं है। अर्जुन सिंह का आरोप था कि दिलीप घोष और उनके साथी नए लोगों को भाजपा में ढंग से मौका ही नहीं दे रहे। खासकर उन्हें जो तृणमूल छोड़कर आए हैं।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अर्जुन सिंह ने बंगाल में खुद के साथ पुलिस और तृणमूल के गुंडों की बदसलूकी का मामला बंगाल भाजपा के सामने रखा, लेकिन पार्टी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया ही नहीं। सिर्फ अर्जुन सिंह ही नहीं तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए मुकुल रॉय ने भी पार्टी की चुनाव संबंधी योजनाओं से असंतुष्टि जताई है। बताया गया है कि बंगाल भाजपा ने राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने राज्य के चुनाव में 190 सीट जीतने का अनुमान जताया। इस पर मुकुल रॉय ने संदेह जताते हुए कहा कि यह मौका कोताही बरतने का नहीं है। हालांकि, दिलीप घोष और सुब्रत चटर्जी ने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया। इसके अलावा हाल ही में बंगाल में भाजपा के युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए सांसद सौमित्र खान ने भी पार्टी के नेतृत्व से नाराजगी जाहिर की है।