अनिल अनूप के साथ सरवन कुमार सिंह की रिपोर्ट
पहले जैसा वक्त अब नहीं है। सामान्य दिन होते तो बात और होती। अब कोरोना काल है। ऐसे में विधानसभा उपचुनाव के लिए सज रही चुनावी बिसात पर इसका असर पड़ना तय है। कोरोना काल में आठ सीटों पर उपचुनाव होना है। इस मिनी परीक्षा को वर्ष विधानसभा चुनाव के लिहाज से खासा अहम माना जा रहा है। इसके अलावा भी इस बार का चुनाव जुदा सा होगा।
सोशल डिस्टेंसिंग का दौर है। कौन सीट पार्टी कोरोना के भय के बीच अपने वोटरों के बीच प्रचार कर पाती है और उन्हें वोट डालने के लिए तैयार कर पाती है। इन बातों का असर भी चुनाव नतीजों पर पड़ सकता है।
उपचुनाव में उठने वाले मुद्दों में कोविड 19 भी है। विपक्षी दल इसके लेकर सत्तारुढ़ भाजपा को घेरते रहे हैं। ब्राह्मण सियासत व जातीय गोलबंदी के चुनावी तरकश के तीर हैं। सरकार का कामकाज भी अहम मुद्दा है। मुख्य विपक्षी पार्टी सपा इन चुनावों को लेकर खासी उत्साहित है। उसका मानना है कि इन चुनाव के नतीजों से जनता के थोडे़ बहुत मूड का संकेत मिल सकता है। इसलिए उसने इन सीटों पर जातीय समीकरणों के हिसाब से मजबूत प्रत्याशी उतारने की तैयारी की है।
साल भर पहले भाजपा ने 8 सपा ने उपचुनाव में तीन सीटें जीती थीं
पिछले साल विधानसभा उपचुनाव में सपा ने भाजपा से उसकी एक सीटिंग सीट छीन ली थी और बसपा की एक सीटिंग सीट पर उसने कब्जा किया था। एक सीट उसने खुद की बरकरार रखी थी। भाजपा ने इन चुनावों 8 सीटें जीत कर अपना प्रभुत्व बनाये रखा जबकि बसपा व कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था।
अब करीब एक साल बाद फिर विधानसभा उपचुनाव आ रहा है। इस बार जिन आठ सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें दो सीटें जौनपुर की मल्हनी व रामपुर की स्वार सपा की सिंटिंग सीट है। बाकी छह भाजपा की सिटिंग सीट है। दो सीट तो प्रदेश सरकार के मंत्रियों की मृत्यु हो जाने के कारण खाली हुईं हैं।
क्षेत्रवार विधानसभा की रिक्त सीटें
पश्चिमी यूपी : टूंडला (फिरोजाबाद), स्वार (रामपुर), बुलंदशहर, नौगांवा सादात (अमरोहा)
मध्य यूपी : घाटमपुर (कानपुर नगर) बांगरमऊ (उन्नाव)
पूर्वांचल : मल्हनी (जौनपुर) देवरिया सदर