अनिल कुमार की रिपोर्ट
लाठीचार्ज से लेकर गोली चलाने का होगा अधिकार
कानपुर/कानपुर में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने से पुलिस की शक्तियां बढ़ने के साथ जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। खासतौर पर कानून-व्यवस्था और अपराधियों पर कार्रवाई करने के मामले में कमिश्नरेट प्रणाली में अगर कानून-व्यवस्था बिगड़ती है तो ऐसी स्थिति में पुलिस वन मैन आर्मी की भूमिका में होगी। दंगाइयों को कैसे रोकना है? क्या कार्रवाई करनी है? गोली-आंसू गैस चलाने हैं या नहीं? ऐसे तमाम निर्णय पुलिस अफसर ले सकेंगे। इसके लिए प्रशासन की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे गंभीर हालात से निपटने में आसानी होगी।
कई बार समन्वय न होने से बिगड़ जाते हैं हालात
दंगा-फसाद होने पर पुलिस को मोर्चा लेना होता है। दंगाई एक तरफ ईंट पत्थर चलाते हैं तो पुलिस के पास लाठी-बंदूक, आंसू गैस के गोले, रबर बुलेट आदि होती है लेकिन उसका इस्तेमाल वह नहीं कर सकते। उनके हाथ बंधे होते हैं। इसके लिए डीएम की अनुमति की जरूरत पड़ती है। कई बार अनुमति मिलने में देरी होती है या फिर पुलिस-प्रशासन का समन्वय न होने से दिक्कतें पैदा होती है। इससे हालात बिगड़ जाते हैं। दंगाई उग्र होते हैं और पुलिस बैकफुट पर। कमिश्नरी सिस्टम लागू होने से पुलिस अफसर तत्काल उचित कार्रवाई का आदेश कर हालात को नियंत्रित कर सकेंगे।