संवाद सहयोगी की रिपोर्ट
बेगूसराय। विश्व व्यापी महामारी ने बेगूसराय जिला के कुंभी गांव निवासी सुनील सहनी के उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। सुनील गरीबी और तंगहाली से निजात पाने के लिए दो वर्ष पूर्व देश की राजधानी दिल्ली अपने परिवार के साथ गया था। जहां नोएडा स्थित एक चप्पल के कारखाने में पति- पत्नी दोनों मिलकर नौकरी करते हुए किराए के मकान मे रहकर परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। लेकिन कोरोना को लेकर लॉकडाउन होने के कामधंधा बंद हो जाने की स्थिति मे जमा पूंजी बैठकर खाने लगे। तभी अचानक 13 मई को पत्नी राधा देवी बीमार हो गई, पैसे के अभाव में दिल्ली के सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 17 मई को राधा देवी की मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने पोस्टमार्टम के बाद लाश सौंप दिया।
पत्नी का अंतिम संस्कार करने के बाद टूट चुका सुनील को तीन बच्चों 12 वर्षीय मनीष कुमार, सात वर्षीय मुस्कान कुमारी एवं चार वर्षीय सपना कुमारी का पेट भरना मुश्किल होने लगा। इसके बाद सुनील ने किसी तरह छह हजार रुपए का इंतजाम कर तीनों बच्चों के साथ बस से मंझौल आकर पैदल अपने गांव कुंभी आ गया। यहां उसका पुराना घर टूट कर ध्वस्त हो गया था, इसी दौरान पंचायत समिति सदस्य सह पूर्व प्रमुख विनीता नुतन, मुखिया उमेश कुमार शर्मा को जब जानकारी मिली तो सुनील को तीनों बच्चों के साथ एकांतवास केंद्र भेज दिया गया है। लेकिन वहां से निकलने के बाद तीनों बच्चों के साथ कहां रहेगा, यह उसके लिए समस्या बन गई है। इधर तीनों बच्चों के साथ दिन भर रो-रोकर गुजार रहे सुनील हर किसी को बेबस लाचार सा देख रहा है।
मां को खो चुकी तीनों बच्चियों को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हो गया है, वह कहां पहुंच गई है। वह ना तो कुछ बोलने की स्थिति में है ना कुछ सोचने की स्थिति में, इन चारों के दर्द खुद ही किसी को भी रुलाने को मजबूर किए हुए हैं। चार वर्षीय सपना जब मां को याद कर रोने लगती है तो वहां रहने वाले तमाम प्रवासियों के भी कलेजे कांप उठते हैं, बेचारा बाप इसी तरह उसे चुप कराने में लगा रहता है।