लॉकडाउन में रमजान से मुसलमान दुविधा में पड़ गए हैं…
रमजान का चांद नजर आने के बाद इस्लामिक कैलेंडर के नौवों महीने की आज से शुरुआत हो गई है। इस महीने मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा यानी उपवास रखते और पांच वक्त के नमाज के साथ खुदा की इबादत में अपना समय बिताते हैं। यह माना जाता है कि इस पवित्र महीने में इबादत करने का सबाब अन्य महीनों से कई गुना ज्यादा मिलता है। रमजान के दौरान लोग सहरी व इफ्तार के दौरान भोजन ग्रहण करते हैं, बाकी पूरे दिन उपवास रखते हैं, यहां तक कि पानी भी नहीं पीते।
पत्रकार और शायर शादाब जफर शादाब का कहना हैं कि रमज़ान, रोज़े की फज़ीलत और इस महीने में चंद बातों का लॉकडाउन की वजह से जानना बेहद जरूरी हो गया है। इस बार रमजान का महीना कोरोना वायरस की भयंकर महामारी के बीच पड़ रहा है. मुल्क में लॉकडाउन 3 मई तक जारी है इसलिए इसका असर रोजेदारों पर भी पड़ना लाजिमी है. सब से बड़ी समस्या ये है कि मुसलमान किन बातों का ध्यान रखें और किस से बचें. जिस से रोजे का हुक्म भी अदा हो जाए और कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के उपाय और कानून भी अपना लिया जाएं.
इस बार रमज़ान का महीना कोरोना जैसी विशेष परिस्थिति में आ गया है. इस लिए रोजेदार के लिए रमजान के महीने में किन किन बातों का हमे ध्यान रखना जरूरी है आईये जानते है
1,सिर्फ स्वस्थ लोग ही रमजान के रोजे रखने की पाबंदी करें.2,रोजे-इफ्तार को अपने घरों पर ही अंजाम दिया जाए.3.इफ्तार पार्टी या सामूहिक आयोजन से परहेज किया जाए 4.मस्जिद में पढ़ी जाने वाली तरावीह को घर पर ही पढ़ें.5.हाफिज के मुहैया नहीं होने की सूरत में सूरत तराबीह भी पढ सकते हैं. 6.हाफिज मुहैया होने पर घर पर कुरआन सुना जा सकता है, लेकिन ये हाफिज घर के सदस्य हों, न कि बाहर से बुलाए गए हों.7.घर पर तरावीह के दौरान बाहरी लोगों को इकट्ठा ना होने दें, बल्कि सिर्फ घर के सदस्य ही नमाज में शामिल हों.8.रमजान की ताक रातों में 21, 23, 25, 27, 29 तारीखों को शब ए कद्र की इबादत की जाती है, इस में भी सामाजिक दूरी का खयाल रखें.9.रमजान के आखिरी अशरे (आखिरी दस दिन) में एतेकाफ होता है, आपसी मशिवरे से मस्जिद में एक आदमी ही एतकाफ करे.10.रोजा खोलने के लिए मस्जिदों के बजाए घर पर ही खोलें.11.बीमार लोग न रोजे रखें, और कोई भी मुसलमान लॉकडाउन के चलते किसी भी स्थति में नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में ना जाएं