म्यांमार और अफगानिस्तान ही केवल एसे दो देश है जिन्होने इस बार संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के संबोधन में भाग नहीं लिया था । हाल ही में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है और म्यांमार में भी सैन्य विद्रोह के बाद सेना का शासन लागू है। म्यांमार ने भी अपने प्रतिनीधि को बदलने के लिए आवेदन किया है।
अफगानिस्तान संयुक्त राष्ट्र का 1946 से जबकि म्यांनमार 1948 से सदस्य है।
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान और म्यांमार के प्रतिनिधित्व के मामले को लेकर अगले माह संयुक्त राष्ट्र महासभा की साख समिति की महत्वपूर्ण बैठक होगी। सभी 193 देश मिलकर यह फैसला करेंगे कि महासभा में दोनों देशो का प्रतिनिधित्व कौन करेगा।
अब इस बैठक के सदस्य में इस बात पर चर्चा होगी की इन दोनों देशों के असल प्रतिनिधि कौन होंगे। बैठक की अध्यक्षता स्वीडन कर रहा है और इस समिति के सदस्य देश अमेरिका, चीन, रूस, बहामास, नीमीबिया, सीएरा लियोन, भूटान और चिली हैं।
इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद से जब सवाल किया गया तो उन्होने प्रेस वार्ता में कहा कि उन्हें इस बात की खबर है। स्वीडन इस बैठक की अध्यक्षता कर रहा है। आम तौर पर यह बैठक नवंबर में होती है और दिसंबर में इसकी रिपोर्ट सौंपी जाती है। उन्होने कहा कि उन्हे पूरी उम्मीद है कि स्वीडन समय के अनुसार यह कार्य पूरा करेगा। इस बात का फैसला सभी 193 देश करेंगे की इन देशो का प्रतिनिधित्व कौन करेगा।
बता दें की अफगानिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनीधि गुलाम इसकजाई हैं, इन्हे पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने नियुक्त किया था। इसकजाई ने ही 27 सितंबर को देश की तरफ से संबोधन किया था। इसके बाद सीट त्याग दी थी। इससे पहले तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को एक पत्र लिख कर सुहैल शाहीन को महासभा में अफगानिस्तान का राजदूत नियुक्त किया था। तालिबान ने शाहीन को सत्र में संबोधन के लिए अनुमति की भी मागं की थी, लेकिन यह खारिज हो गई थी।