ट्रांस शारदा क्षेत्र में खीरी-पीलीभीत जिले की मध्य सीमा पर स्थित एतिहासिक गुरुद्वारा नानकसर खजूरिया सिद्धनगर में आज मंगलवार को अमावस्या मेले का आयोजन किया गया। आपको बता दें कि समाज को भाईचारे तथा एकजुटता का संदेश देने वाले समाज सुधारक सिक्ख धर्म के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी का सिद्धनगर खजूरिया से गहरा संबंध रहा है। श्री गुरु नानक देव जी अपनी तीसरी उदासी 1514 में अपनी धर्म यात्रा के दौरान अपने शिष्यों भाई बाला जी तथा भाई मरदाना जी के साथ जिस पवित्र जगह पर रुके थे वहां पर एतिहासिक गुरुद्वारा नानकसर खजूरिया सिद्धनगर बना हुआ है। यह एक ऐसा एतिहासिक व धार्मिक आस्था का केंद्र है जहां पहुंचने मात्र से ही आत्मिक शांति मिलती है। इसीलिए एतिहासिक गुरुद्वारा होने के कारण हर महीने अमावस्या मेले का आयोजन किया जाता है।
इस एतिहासिक गुरुद्वारा साहिब की स्थापना सचखंड वासी संत बाबा सुलक्खन सिंह जी आनंदपुर साहिब ने क्षेत्र की संगत के सहयोग से कार्यसेवा के जरिए की थी। संत बाबा सुलक्खन सिंह जी के स्वर्गवास होने के बाद अब सेवा जत्थेदार बाबा दिलबाग सिंह जी के नेतृत्व में की जा रही है। आज इस अमावस्या के अवसर पर क्षेत्रीय श्रद्धालुओं के साथ साथ दूर दराज के क्षेत्रों से भी भारी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने पहले गुरुद्वारा परिसर में बने पवित्र सरोवर में स्नान किया। इसके बाद लोगों ने दरबार साहिब में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के सामने मत्था टेक कर प्रसाद ग्रहण किया। ठंड होने के बावजूद भी श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी।
सुबह से ही गुरु का अटूट लंगर चलाया जा रहा था। इससे पहले परसों रोज से श्री अखंडपाठ साहिब का पाठ रखा गया था। जिसका आज सुबह दस बजे गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी कुलवंत सिंह के द्वारा भोग डाला गया था। इस अवसर पर धार्मिक दीवान का भी आयोजन किया गया था। जिसमें पहुंचे गुरशरण सिंह चीमा के कविसरी जत्थे कथावाचक बाबा गुलाब सिंह ने अपने अपने लहजे में गुरुओं की महिमा का गुणगान किया। इस मौके पर निशान सिंह प्रधान, दलबीर सिंह उप प्रधान, सतनाम सिंह स्टेज सेक्रेटरी, बाबा दीपा सिंह, रणजीत सिंह पूर्व प्रधान, निशान सिंह, गुरमेज सिंह, लखविंदर सिंह, हरपिंदर सिंह, प्रताप सिंह, अवतार सिंह, गुरदीप सिंह कमलापुरी आदि मौजूद रहे।