होलाष्टक की शुरुआत होली से आठ दिन पहले हो जाती है। वहीं इस बार 27 फरवरी को सूर्योदय से होलाष्टक शुरू है और पूर्णिमा के दिन यह समाप्त होगा। आपको बता दें कि इस बार होलाष्टक 8 के बजाय 9 दिनों का पड़ रहा है और इसका कारण बनी है दो दिन पड़ने वाली एकादशी तिथि। जानकारों के अनुसार दो दिन एकादशी तिथि पड़ने के कारण इस बार होलाष्टक आठ के बजाय नौ दिनों का होने वाला है।
कब से शुरू हो रही होलाष्टक
होलाष्टक की शुरुआत 27 फरवरी से हो रही है जबकि इसका समापन 7 मार्च को होगा और बता दें कि इस अवधि में सभी मांगलिक कार्य पूरी तरह से वर्जित होते हैं वहीं इस दौरान भगवान विष्णु की आराधना करना विशेष फलदायी भी माना जाता है। साथ ही किसी भी तरह के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए इन दिनों में भगवान विष्णु की आराधना भी आपको करनी चाहिए। वहीं इसी दिन बुध ग्रह मकर राशि को छोड़कर शाम 4.46 बजे कुंभ राशि में प्रवेश भी करने जा रहा है।
27 सालों के बाद फाल्गुन में दो पड़ेंगी एकादशी
27 साल बाद फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष में दो एकादशी (ग्यारस) का संयोग बनने जा रहा है। वहीं दो मार्च को स्मार्त और अगले दिन वैष्णव मत वाले एकादशी व्रत भी करेंगे।
होलाष्टक के दौरान क्यों नहीं करने चाहिए मांगलिक कार्य
होलाष्टक को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा (Phalguna Purnima) तक 8 ग्रह उग्र रहते हैं और उग्र रहने वाले ग्रहों में सूर्य, चंद्रमा, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु शामिल होते हैं। वहीं ऐसा माना जाता है कि इन ग्रहों के उग्र रहने से मांगलिक कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। और इसी वजह से मांगलिक कार्य भी नहीं किए जाते हैं।
होलाष्टक को लेकर प्रचलित है ये सभी मान्यताएं
मान्यता के अनुसार राजा हरिण्यकश्यप बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने 8 दिन प्रहलाद को कठिन यातनाएं भी दी। इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका के गोद में प्रहलाद को बैठा कर जला दिया, पर फिर भी भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और इन आठ दिनों में प्रहलाद के साथ जो हुआ, उसके कारण होलाष्टक लगते हैं और इसी कारण से नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने से मनाही भी होती है।